गले की फांस बनता जा रहा टैक्स वसूली में हेरफेर का मामला

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ: सुर्खियों में रहने वाला नगर निगम एक बार फिर चर्चा में है। चर्चा ऐसी कि अधिकारियों से लेकर पार्षदों तक के होश उड़े हैं। मामला बिना बंदोबस्ती के छोटे-बड़े वाहनों से टैक्स वसूली का है। इस वसूली की चर्चा इतनी गर्म है कि नगर निगम दो फांड़ में बंट चुका है। दोनों ही खेमे से आरोप-प्रत्यारोप की आवाजें भी उठने लगी है। एक खेमा दूसरे खेमे पर टैक्स वसूली में मिलीभगत का आरोप लगा रहा है। समय रहते सुलह-सफाई नहीं हुई तो मामले की आंच नगर निगम के शीर्ष पद तक पहुंच सकती है।

मालूम हो कि लॉकडाउन की वजह से इस बार मार्च महीने में नगर निगम क्षेत्र स्थित सैरातों की बंदोबस्ती नहीं हो पाई। ऐसे में विभागीय मार्गदर्शन के बाद निगम ने तीन स्थानों पर टैक्स वसूली का काम आरंभ करवाया। टैक्स वसूली की जिम्मेवारी नगर निगम के टैक्स दरोगा शैलेन्द्र कुमार को दी गई। उन्हीं के नेतृत्व में विभिन्न वार्डों के टैक्स कलेक्टरों ने टैक्स वसूली का काम आरंभ किया। करगिल बस स्टैंड, रामचन्द्रपुर बस स्टैंड तथा टेंपू चालकों से वसूली के लिए निगम के कई कर्मियों को लगाया गया। टैक्स वसूली का काम तेजी से चलने भी लगा। लेकिन टैक्स वसूली की राशि में हेरफेर की आवाज भी उठने लगी। इस कार्य में निगम से जुड़े कई लोगों के नाम भी सामने आने लगे। देखते ही देखते मामला नगर आयुक्त के कानों तक भी पहुंच गई। उन्होंने टैक्स दरोगा से शोकॉज कर दिया। जवाब में उन्होंने रामचन्द्रपुर बस स्टैंड अन्य टैक्स कलेक्टरों के जिम्मे होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। परंतु सारे 46 वार्ड के टैक्स कलेक्शन का जिम्मा टैक्स दरोगा पर होने के कारण वे जवाबदेही से साफ बच भी नहीं सकते। बहरहाल, वसूली में हो रही घपलेबाजी को प्रमाणित करना इतना आसान भी नहीं था। ऐसे में जांच के पहले निगम के दूसरे खेमे ने हकीकत सामने लाने की जिम्मेवारी उठाई और 25 जून से अपने तरीके से टैक्स वसूली कराना शुरू कर दिया। इस गुट का दावा है कि टैक्स पहले से दोगुना वसूला जाने लगा। हालांकि सूत्र बताते हैं कि गुरुवार तक वसूली की रकम निगम के खाते में जमा नहीं हुई है। इस कारण टैक्स वसूली की आधिकारिक तुलना नहीं हो सकी है। इधर, हफ्ते भर की टैक्स वसूली की रकम निगम के खाते में जमा नहीं करने पर भी कुछ पार्षद उंगली उठाने लगे हैं। इनका कहना है कि टैक्स वसूली की रकम हर दूसरे दिन जमा करा देनी चाहिए। रकम रोकने का मतलब कुछ खेल है।
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फाइनल रिपोर्ट की प्रतिक्षा
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आनन-फानन में नगर आयुक्त अंशुल अग्रवाल ने टैक्स वसूली के खेल की जांच के आदेश दे डाले। जांच की जिम्मेवारी उपनगर आयुक्त विनोद रजक तथा जयेश कुमार को सौंपी गई। हालांकि अधिकारी अब तक जांच का फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर सके हैं। लेकिन जांच के आदेश के बाद वसूली की राशि में बढ़ोतरी के बाद आवाज उठनी लाजिमी है। ऐसे में यदि निरपेक्ष जांच रिपोर्ट सामने आई तो निगम से जुड़े कई लोगों के गले के लिए यह फांस साबित हो सकती है।
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दोनों खेमा नगर आयुक्त को कर रहा दिग्भ्रमित
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निगम के टैक्स वसूली कार्य को कई दबंगों ने कमाई का जरिया बनाना आरंभ कर दिया। निगम के एक खेमे के वरदहस्त के बाद दबंगों ने एनएच किनारे देवीसराय पेट्रोल पम्प के पास गुमटी खोल ली। वहीं दीपनगर तथा लहेरी थाना क्षेत्र में प्रवाधान के विपरीत एनएच पर आवाजाही कर रहे वाहनों से चुंगी वसूलने लगे। जिससे आए दिन सड़क जाम लगने लगा। निगम का दूसरा खेमा इस कार्य से खासा नाराज दिखा। यह खबर नगर आयुक्त के पास भी पहुंची। लेकिन निगम का दोनों खेमा आयुक्त को ही दिग्भ्रमित करने लगा। ऐसे में नगर आयुक्त स्वतंत्र होकर कड़ा फैसला करना होगा।
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फाइनल रिपोर्ट के बाद हेरफेर में संलग्न लोगों पर कार्रवाई तय
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जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच की फाइनल रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद मामले की सच्चाई आनी तय है। यदि निगम की टैक्स वसूली में किसी ने भी हेरफेर की तो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होना तय है।
अंशुल अग्रवाल
नगर आयुक्त
Posted By: Jagran
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