नई रिसर्च: कोरोना के कारण दिल और किडनी सहित व्यक्ति के कई अंग हो जाते हैं खराब जिस कारण होती है उसकी मृत्यु।

कोरोना वायरस महामारी लोगों को सिर्फ सांस की तकलीफ से ही नहीं मारती बल्कि कई बार कई अंगों के एक साथ फेल हो जाने के कारण भी लोगों की मौत हो जाती है उन्हें राम ज्यादातर लोग समझते हैं कि कोरोना वायरस मात्र हमारे स्वसन तंत्र पर हमला करता है लेकिन यह गलत है। नई रिसर्च के मुताबिक किया हमारे कई अंगों पर असर डालता है।

सबसे पहले फेफड़ों पर असर जानें
सामान्य तौर पर एक ही मरीज़ के सारे अंगों को वायरस प्रभावित नहीं करता बल्कि अलग अलग केस में अलग तरह की गंभीरताएं सामने आ रही हैं. सबसे ज़्यादा मरीज़ों में फेफड़ों पर घातक हमला देखा गया है. साइन्स जर्नल की एक रिपोर्ट की मानें तो फेफड़ों में हवा के छोटे कोश होते हैं जिन्हें अलवेओली कहते हैं, ये ACE2 के लिए अच्छे ग्राही होते हैं. जैसे ही वायरस इन कोशिकाओं में प्रवेश करता है, प्रतिरक्षा तंत्र के वायरस से लड़ने के चक्कर में इन हवा कोशों तक ऑक्सीज़न पहुंचने में मुश्किल होती है, जिससे सांस लेना कठिन होता जाता है.
कुछ मरीज़ बाहरी तौर पर ऑक्सीज़न मिलने से ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ की हालत बिगड़ती चली जाती है और इनमें एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम विकसित हो जाता है. ऐसे में फेफड़ों की हालत खराब होती जाती है क्योंकि श्वेत रक्त कोशिकाओं का द्रव, म्यूकस आदि पहेलियां बन जाती हैं. ऐसे में, मरीज़ वेंटिलेटर पर जाता है.

फेफड़ों के बाद आता है दिल का नंबर
साइन्स जर्नल के हवाले से मीडिया में आईं रिपोर्टों में कहा गया है कि फेफड़ों पर वायरस के हमले से जो स्थितियां बनती हैं, उनसे रक्त प्रवाह बाधित होता है और ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है. चूंकि हृदय से रक्त बाकी अंगों तक पहुंचने में मुश्किल होती है इसलिए स्ट्रोक या पल्मोनरी एम्बॉलिज़्म जैसे खतरे बढ़ते हैं.
सांस के नहीं, बीपी के मरीज़ों के लिए जोखिम ज़्यादा!
संक्रमण के कारण रक्त नलिकाएं सिकुड़ने की स्थिति बनती है, तब भी अंगों तक रक्त न पहुंच पाने की समस्या पैदा होती है. वैज्ञानिकों के हवाले से रिपोर्ट कहती है कि पहले से बीपी या डायबिटीज़ से ग्रस्त मरीज़ों या ज़्यादा उम्र व हाइपरटेंशन वाले व्यक्तियों में वायरस के रक्त नलिकाओं पर हमले की आशंका ज़्यादा होती है जबकि हैरत की बात ये है कि सांस या अस्थमा के रोगियों के लिए इस वायरस से जोखिम तुलनात्मक रूप से कम है.
किडनी क्यों हो सकती हैं फेल?
खास तौर से चीन के मरीज़ों पर हुए अध्ययन के मुताबिक रिपोर्ट कहती है कि कई मरीज़ किडनी फेलियर के शिकार हो सकते हैं. वायरस के सीधे संक्रमण के कारण साइटोकिन किडनी में रक्त सप्लाई नहीं होने देता या डायबि​टीज़ जैसी पहले से किसी बीमारी के कारण किडनी को घातक नुकसान की आशंका रहती है.
साइन्स पत्रिका की रिपोर्ट समझाती है कि कैसे कोरोना वायरस पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है.
कुछ दुर्लभ मामले ऐसे भी
जिन कुछ मरीज़ों को अस्पताल या आईसीयू की ज़रूरत पड़ती उनमें से बहुत कम यानी उनमें से भी सिर्फ 5 से 10 फीसदी मरीज़ों में न्यूरोलॉजी संबंधी समस्याएं देखी जा सकती हैं. इन मरीज़ों में स्ट्रोक, सूंघने या स्वाद का सेंस जाना, डिप्रेशन जैसी शिकायतें हो सकती हैं. और भी कम मामलों में, जिनमें वायरस सेरेब्रोस्पाइनल द्रव तक पहुंच जाए, मेनि​नजाइटिस और एंसेफलाइटिस भी आशंकित है.
क्यों होता है इतने अंगों पर वायरस का हमला?
कुछ कोशिकाओं में एक खास रिसेप्टर पाया जाता है जिसे एंजिओटेंसिन कन्वर्टिंग एन्ज़ाइम 2 कहते हैं. नाक में इन रिसेप्टरों वाली कोशिकाएं बहुतायत में हैं और यही वायरस के शरीर में घुसने का प्रमुख रास्ता है. ये रिसेप्टर शरीर के जिन कई अंगों की कोशिकाओं में होते हैं, वायरस के हमले का खतरा वहां बढ़ जाता है. एक वैज्ञानिक के हवाले से रिपोर्ट कहती है कि मस्तिष्क पर भी वायरस का खतरा आशंकित है, हालांकि अब तक पता नहीं है कि कब और कैसे ऐसा हो सकता है.

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