भारतीय सिनेमा आज किसी भाषा तक सीमित नहीं है : राणा दग्गुबाती

अभिनेता राणा दग्गुबाती का कहना है कि आज वक्त तेजी से आगे बढ़ने का है और यही वजह है कि अपनी प्रेमिका से सगाई करने के रास्ते उन्होंने महामारी को आड़े नहीं आने दिया। यह भी एक वजह है जिसके चलते वह टिसॉट के नए चेहरे हैं, जो कि एक लग्जरी स्विस घड़ी निर्माता कंपनी है। राणा दग्गुबाती दक्षिण भारतीय फिल्मों के सबसे सफलतम कलाकारों में से एक हैं और इसके साथ ही वह बॉलीवुड में भी काफी मशहूर हैं। इस अभिनेता-निर्माता का यह मानना है कि वक्त अस्थायी है, लेकिन फिल्में सदा के लिए है। आईएएनएस लाइफ के साथ हुई अपनी बातचीत में उन्होंने कई विषयों को लेकर बात कीं।क्या आप इस बात से सहमत हैं कि आप खुद को सबसे सफल 'क्रॉसओवर' कलाकारों में से एक मानते हैं?दग्गुबाती : भारतीय सिनेमा आज किसी भाषा तक सीमित नहीं है। फिल्म किस भाषा में है यह मायने नहीं रखती है। अगर आपके पास बताने लायक कोई कहानी है, तो आगे बढ़कर उसे बताइए। इसलिए मैं स्क्रिप्ट पर ध्यान देता हूं जिससे तेलुगू और हिंदी में करियर के बेहतर विकल्प बने रहे।अपनी आने वाली परियोजनाओं के बारे में कुछ बताइए?

दग्गुबाती : दो फिल्में आने के लिए तैयार हैं। एक है 'हाथी मेरे साथी', जो हिंदी, तेलुगू और तमिल में रिलीज होगी। यह एक इंसान और प्रकृति के बीच के रिश्ते की एक खूबसूरत कहानी है..शायद आज के समय में यह कहीं ज्यादा यर्थाथ है। दूसरी फिल्म 90 के दशक में तेलंगाना की पृष्ठभूमि पर आधारित एक खूबसूरत प्रेम कहानी है। इस फिल्म का नाम 'विराटपर्वम' है और इसमें साई पल्लवी, नंदिता दास और जरीना वहाब जैसे कलाकार हैं।जब काम नहीं कर रहे होते हैं, तो आप वक्त कैसे गुजारते हैं?
दग्गुबाती : आमतौर पर मैं एक ऐसा इंसान हूं जिसकी कई चीजों में रूचि है, तो मुझे व्यस्त रखना कोई एक मुश्किल काम नहीं है। मुझे पढ़ना बहुत पसंद है इसलिए जब कभी मुझे मौका मिलता है तो मैं पढ़ता हूं। यह आपको एक ऐसी दुनिया में लेकर जाती है जो कि आज की इस वास्तविक दुनिया से कहीं बेहतर है।टिसॉट की कौन सी घड़ी आपको सबसे ज्यादा पसंद है?
दग्गुबाती : टिसॉट कार्सन प्रीमियम, टिसॉट सीटस्टार 1000 क्वाट्र्ज और टिसोट ट्रेस मुझे व्यक्तिगत तौर पर ज्यादा पसंद है।

अन्य समाचार