फिर शुरू हो गई लापरवाही , बढ़ रहा है खतरनाक तरीके से संक्रमण का दायरा

जहानाबाद : लॉकडाउन के अनुपालन के साथ-साथ शारीरिक दूरी बनाए रखने का निर्देश दिया जा रहा है। अति आवश्यक कार्य होने पर ही घर से बाहर निकलने तथा इस स्थिति में मास्क का प्रयोग करने की भी सीख दी जा रही है। लेकिन रविवार को शहर में लॉकडाउन के नियमों के अनुपालन में लोग लापरवाही बरते दिख रहे थे। लोगों द्वारा मास्क का उपयोग तो किया जा रहा था लेकिन शारीरिक दूरी का अनुपालन नहीं हो रहा था। हालांकि अनलॉक के बाद शुरू हुए लॉकडाउन में कुछ दिनों से लोग काफी सजग दिख रहे थे। जिले में संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है उससे हर संभव सजगता की जरूरत भी है। लेकिन रविवार को सड़कों पर जरूरत से ज्यादा गाड़ियां चल रही थी। पैदल चलने वाले लोगों की भी अच्छी खासी भीड़ थी। आम आवाम को भी कोरोना संक्रमण के खतरे का आभास है। लोग जिले में संक्रमित मरीज मिलने से डरे सहमे भी हैं। लेकिन लोगों के कार्य शैली में संक्रमण काल में जो परिवर्तन दिखना चाहिए था वह फिलहाल नहीं दिख रहा है। सुबह बाजार खुलते हैं सड़कों पर आवाजाही शुरू हो जा रही है। कई लोग तो अति आवश्यक कार्य से घर से बाहर निकल रहे हैं लेकिन उन लोगों के बीच कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें घर से बाहर निकलने का कोई कारण नहीं रहता है फिर भी मनोरंजन के ख्याल से बाहर निकल रहे हैं। लॉकडाउन के अनुपालन में जुटी पुलिस से बचने के लिए तरह-तरह के बहाने भी किए जा रहे हैं। बहाने कर वे भले ही पुलिस प्रशासन से बच सकते हैं लेकिन कोरोना से बचने का तो एकमात्र उपाय यही है कि घर में ही रहे और जरूरत पर जब बाहर निकले तो मास्क का प्रयोग करें तथा सहायक दूरी बनाए रखें। जिला प्रशासन का सख्त निर्देश है की घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग जरूरी है। लेकिन इस निर्देश का अनुपालन सही तरीके से नहीं हो रहा है। लॉकडाउन के अनुपालन कराने में जुटे पुलिसकर्मी बेवजह घर से बाहर निकलने वालों को दंड तो जरूर दे रही है लेकिन शारीरिक दूरी के अनुपालन नहीं करने वाले लोगों पर जो सख्ती बरतनी चाहिए उसका अभाव दिख रहा है। शहर के अस्पताल मोड़, अरवल मोड़ ,मल्हचक समेत अन्य प्रमुख चौक चौराहों पर लोगों की भीड़ लग जाती है। आवश्यक सामानों की खरीदारी में लोग शारीरिक दूरी को भूल जा रहे हैं। तैनात पुलिसकर्मी की सख्ती भी उन लोगों पर नहीं दिख रही है। परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे लोग लापरवाह होते जा रहे हैं।


समय सुबह 6.00 बजे अभी कई आवश्यक दुकानों के ताले तक नहीं खुले थे की अस्पताल मोड़ पर लोग जमे थे । लोगों के बीच कोरोना संक्रमण की ही बात हो रही थी। बात तो बड़ी-बड़ी की जा रही थी लेकिन व्यवहार में कहीं सतर्कता नजर नहीं आ रहा था। इसी बीच एक दुकान का ताला खुला। उस दुकान की ओर इस कदर लोग चल पड़े मानो कि कुछ ही मिनट में वह बंद होने वाला है। दुकानदार अभी अपने दुकान के सामान को व्यवस्थित ही कर रहा था कि लोग सामान लेने के लिए इस तरह चिपक गए जैसे शारीरिक दूरी इस समय कोई मतलब ही नहीं रख रहा हो। समय 7.00 बजे अरवल मोड़ का नजारा और भी डराने वाली थी । यहां सब्जी की दुकाने सजी गई थी। पुलिस के जवान भी तैनात थे। लोग एक दूसरे से बिना कोई दूरी बनाए सब्जी की खरीदारी कर रहे थे। इससे भी बड़ी बात तो यह थी कि सब्जी की खरीदारी करने वाले लोग अपने- अपने हाथों से खुद सब्जी उठाने में लगे थे। एक टोकरी की सब्जी कई हाथों से छुआ जा रहा था। तैनात पुलिसकर्मियों का ध्यान सिर्फ आने- जाने वाले वाहनों पर ही टिकी थी। पास के सब्जी मंडी में उत्पन्न इस तरह की
खतरनाक स्थिति को पुलिस नजरअंदाज कर रही थी । हालांकि इस दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा लॉकडाउन के उल्लंघन करने वाले बाइक चालकों पर सख्ती नजर आ रही थी। कुछ लोगों पर डंडे भी बरस रहे थे तो कई लोग उठक बैठक भी कर रहे थे। समय 8 :00 बजे गाड़ियों की जाम से पटे रहने वाला रेलवे अंडरपास के गाड़ियों की संख्या कुछ कम थी। राजा बाजार में कई किशोरावस्था के बच्चे झुंड बनाकर हंसी ठिठोली करते आगे बढ़ रहे थे। हंसी ठिठोली करते बच्चों का झुंड उतरी दौलतपुर की ओर चला गया। बच्चों के लिए किसी प्रकार का कोई शारीरिक दूरी मतलब नहीं रख रहा था। समय 9:00 बजे मलाहचक मोड़ पर रोजमर्रा के सामानों की खरीदारी हो रही थी। यहां शारीरिक दूरी के अनुपालन कराते पुलिसकर्मी नजर आ रहे थे। यहां पर एक बाइक पर सवार तीन युवकों की जमकर क्लास भी लगाई गई। आवश्यक सामग्री की दुकानों पर यहां भी भीड़ लगी हुई थी। कुछ दुकानों के सामने आवश्यक दूरी के लिए गोले का निर्माण भी किया गया था लेकिन लोग इसका अनुपालन नहीं कर रहे थे। समय 10:00 बजे काको मोड़ के समीप चहल-पहल काम था। दवा की दुकानों को छोड़ अन्य अनावश्यक सामग्रियों की दुकानों के बंद होने का समय हो गया था। जिसके कारण लोग जल्दी में सामानों की खरीदारी में व्यस्त थे। लोगों में इस कदर जल्दी थी की आवश्यक शारीरिक दूरी का अनुपालन संभव नहीं हो पा रहा था। तैनात पुलिसकर्मी भी इस ओर कोई सकारात्मक पहल करते नहीं दिख रहे थे। समय 11:00 बजे बारिश होने लगी। लोग बारिश से बचने के लिए दुकानों के शेड में जमा हो गए। लोगों के लिए सीमित जगह में बारिश के पानी से खुद को बचाना ज्यादा जरूरी महसूस हो रहा था। परिणामस्वरूप शारीरिक दूरी का कोई मतलब नहीं रह गया था। लोग एक दूसरे से चिपककर खड़े थे। ऐसे में संक्रमण के बढ़ते रफ्तार के फैलाव को पूरा बल मिल रहा था।
Posted By: Jagran
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