बाढ़ की समस्या का होगा स्थाई निदान

अररिया। नदियों में प्रतिवर्ष आनेवाली बाढ़ प्राकृतिक आपदा नहीं है अपितु जलग्रहण क्षमता आठ दशक पहले जैसी होनी प्रमुख कारण है। सीमावर्ती क्षेत्र के किसान किसी समय बाढ़ को खुशहाली का कारण मानते थे। बाढ़ द्वारा खेतों में लाई जाती कछारी मिट्टी फसलों के लिए वरदान साबित होती थी। यह जानकारी विज्ञान के शिक्षक आलोक गुप्ता ने दी और बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र की नदियों में कभी तटबंध नहीं हुआ करता था। लेकिन आज इसकी व्यवस्था बाढ़ से निजात दिलाने के लिए आवश्यक हो गया है। नदियों का जलग्रहण क्षेत्र रेगिस्तान में तब्दील हो चुका है जिसके कारण नदी अपना रास्ता बदलती रहती है। दशकों पहले पहाड़ से निकलकर बहने वाली नदी में केवल पानी आता था, लेकिन वहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से अब धारा के साथ-साथ पहाड़ से मिट्टी, बालू व कंकड़ के टुकड़े इस क्षेत्र से होकर बहने वाली परमान, बकरा , घाघी, मसणा, नुना आदि नदियों की गहराई को पाट दी है। वहीं राजद के युवा प्रखंड अध्यक्ष मुकेश कुमार यादव ने कहा है कि सिकटी विधान सभा की बड़ी आबादी कई दशकों से बाढ़ का दंश झेल रही है। बाढ़ राहत एवं बचाव कार्य में सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। लेकिन इसका अब तक स्थाई समाधान नहीं खोजा जा सका है। जबकि नदियों के किनारे तटबंध की सख्त आवश्यकता है। वहीं कई नदियों में चीरान के माध्यम से इसकी धारा को मोड़ा जा सकता है। नदियों में जमी गाद को हटाकर भी बाढ़ की त्रासदी से बचा जा सकता है।

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कोट
बाढ़ के स्थाई निदान के लिए प्रयासरत हूं। इससे पूर्व भी बाढ़ के स्थाई निदान के लिए लोकसभा में मेरे द्वारा यह समस्या रखी गईं थी। सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया है। सर्वे टीम द्वारा सर्वे का काम जारी है। बरसात के बाद इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। इसके अंतर्गत नदियों के दोनों तरफ तटबंध की व्यवस्था की जाएगी और नदियों की धारा को सही दिशा दिया जा सकेगा।
प्रदीप कुमार सिंह,
सांसद, अररिया
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कोट
प्रत्येक वर्ष बाढ़ से करोड़ों की क्षति होती है। मेरे तरफ से स्थाई निदान की मांग की गईं है। प्रधानमंत्री मोदी जलस्त्रोतों को वरदान में तब्दील करने के लिए कटिबद्ध हैं। स्वच्छता अभियान की तर्ज पर जल्द ही इसका स्थायी समाधान निकाला जा सकेगा। विजय कुमार मंडल, सिकटी विधायक
Posted By: Jagran
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