नेपोटिज्म पर गोविंदा भी बोले, अब चार-पांच लोग पूरी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को चला रहे हैं

मुंबई। नेपोटिज्म की डिबेट में गोविंदा भी कूद पड़े हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में फिल्म इंडस्ट्री के अंदर जगह बनाने की अपनी जर्नी से जुड़ी कुछ बातें शेयर की हैं। इस इंटरव्यू में गोविंदा ने बताया कि कैसे पेरेंट्स निर्मला देवी और अरुण कुमार आहूजा के एक्टर होने के बावजूद उन्हें इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। इसके साथ ही उन्होंने बॉलीवुड में गुटबाजी पर भी कुछ बातें शेयर कीं। चार-पांच लोगों के काबू में इंडस्ट्री गोविंदा ने कहा, 'इंडस्ट्री में गुटबाजी की बात को नकार नहीं सकते। पहले जिसमें टैलेंट होता था, उसे काम मिलता था। हर फिल्म को थिएटर में बराबर मौका मिलता था लेकिन अब चार से पांच लोग पूरी फिल्म इंडस्ट्री को चला रहे हैं। वो ये तय करते हैं कि जो व्यक्ति उनका करीबी ना हो, उसकी फिल्म को रिलीज किया जाए या नहीं। मेरे भी कुछ फिल्मों को सही रिलीज का मौका नहीं मिला।' घंटों करते थे इंतजार गोविंदा ने आगे कहा, 'मैंने 21 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था तब से बहुत पहले मेरे माता-पिता को इंडस्ट्री छोड़ चुके थे। ऐसे में जब मैं इंडस्ट्री में आया तो कई लोगों को पता ही नहीं था कि मेरे पेरेंट्स कौन थे और मेरा बैकग्राउंड क्या था। मुझे प्रोड्यूसर्स से मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। लोगों ने गिराया था मनोबल गोविंदा को अपने करियर में शुरुआत में ही सफलता मिल गई थी लेकिन उन्हें कई लोगों ने कहा था कि वह इंडस्ट्री में नहीं टिक पाएंगे। गोविंदा ने बताया, 'मुझे यह बात मेरे मुंह पर बोली गई थी लेकिन मैं जानता था कि राज कपूर जी, अमिताभ बच्चन जी, विनोद खन्ना जी और राजेश खन्ना जी भी इस तरह के दौर से गुजरे थे। इंडस्ट्री में आपके पास सही नजरिया होना बहुत जरूरी है। या तो आप कड़ी मेहनत करें, या इस पर ध्यान दें कि लोग क्या कह रहे हैं।' गोविंदा आगे कहते हैं, 'जब मैंने पॉलिटिक्स ज्वाइन की थी तो लोगों ने कहा था कि यह फैसला मेरे अंदर के एक्टर के खिलाफ जाएगा लेकिन यह बात सही साबित नहीं हुई क्योंकि पॉलिटिक्स ज्वाइन करने के बाद मैंने जो फिल्में कीं, उन्हें भी सफलता मिली।' बेटी के करियर पर भी की बात नेपोटिज्म की बात उठने और अपनी बेटी टीना के करियर पर सवाल किए जाने पर गोविंदा बोले, 'मैंने अपनी बेटी के बारे में कभी बहुत बात नहीं की। अगर मैं ऐसा करता तो स्थिति कुछ और होती। वह अपने रास्ते पर खुद चल रही है और जब वक्त आएगा तो वह खुद सफलता पाएगी।' -एजेंसियां

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