लॉकडाउन में बाजार में सन्नाटा, ई राखी का बढ़ा प्रचलन

मोतिहारी । कोरोना महामारी का कहर लगातार जारी है। ऐसे में लोगों की सामाजिक व आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं। महामारी का असर हमारे पर्व त्योहारों व पौराणिक परम्पराओं पर भी पड़ा है। मार्च के बाद पड़ने वाले अमूमन सभी त्योहार या तो नहीं मनाए गए या फिर लोग घर की चाहारदीवारी के अंदर ही मनाने को मजबूर दिखे। कोरोना महामारी ने एक तरह से त्योहारों की भव्यता व रौनकता पर ग्रहण लगा दिया है। यहां बता दें कि भारत के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन को अब कुछ ही दिन बचे हैं। सामान्य दिनों में रक्षाबंधन आने के महीना पहले से ही हाट बाजार में राखी की दुकानें सज जाती थी। लेकिन इस बार कोरोना प्रकोप के कारण लागू लॉक डाउन के कारण बाजारों में सन्नाटा पसरा है। चांदमारी मुहल्ला निवासी खुशी कुमारी बताती हैं कि हर वर्ष रक्षाबन्धन का शिद्दत से इंतेजार होता है। राखी के दिन हर वर्ष अपने मायके जाकर भाइयों को राखी बांधती थी। लेकिन इस बार महामारी के कारण जाना सम्भव नही दिख रहा। ऐसे में वह ई राखी का विकल्प आजमाएंगी। 12वीं की छात्रा अंशिका बताती हैं कि ऑनलाइन विभिन्न तरह के आकर्षक राखी के विकल्प मौजूद हैं, इस बार वो दूर रहने वाले अपने भाइयों को ऑनलाइन राखी भेजकर त्योहार को सेलिब्रेट करेंगी।

घरों में घुसा पानी तो सड़क पर आ गए कई परिवार यह भी पढ़ें
रोजगार पर भी पड़ा असर
राखी के थोक विक्रेता राम बाबू प्रसाद बताते हैं कि पहले महीना पहले से ही बाजारों में राखी की डिमांड बढ़ जाती थी। हर साल इससे अच्छा मुनाफा हो जाता था। लेकिन इस बार कोरोना के कहर ने पूरा व्यवसाय को लील लिया है। राखी का आर्डर जो पहले लगाया गया था, अब उसकी डिलेवरी पर भी संशय बरकरार है। अगर डिलीवरी हो भी गया तो बाजार में ़खरीदारों के अभाव में स्टॉक निकलना मुश्किल होगा। राखी के व्यवसाय से जुड़े लोगो की माने तो हर वर्ष इस व्यवसाय में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण बाजार पूरी तरह नीरस है। यही कारण है कि राखी बनाने वाले कुटीर उद्योगों में काम करने वाले लोगो के रोजगार पर भी असर पड़ा है।
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार