WHO ने बताया ऐसे टूट सकती है कोरोना की चेन

ऑक्सफोर्ड की कोरोना वायरस वैक्सीन के फेज-1 ट्रायल के अच्छे रिजल्ट आने के बाद भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हमें फिलहाल लोगों की जिंदगी बचानी होगी और इसके लिए हमें किसी वैक्सीन का इंतजार करने की जरूरत नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एदनहोम गेब्रेयासिस ने 20 जुलाई को मीडिया को संबोधित करते हुए ये बात कही.

डॉक्टर टेड्रोस एदनहोम गेब्रेयासिस ने कहा कि स्थिति कितनी भी बुरी क्यों न हो, हमेशा उम्मीद मौजूद रहती है. मजबूत नेतृत्व, समाज की भागेदारी और व्यापक रणनीति के साथ हम कोरोना संक्रमण को दबा सकते हैं और लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं. कोरोना महामारी को रोका जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एदनहोम गेब्रेयासिस ने कहा है कि कोई भी देश महामारी पर काबू नहीं पा सकता अगर वो नहीं जानता कि वायरस कहां पर मौजूद है. मामलों को पहचानने, आइसोलेट करने और उनके कॉन्टैक्ट तलाशने और उन्हें क्वारंटीन करने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग जरूरी है.
WHO ने कहा कि मोबाइल ऐप से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में मदद मिल सकती है लेकिन वो जमीन पर काम करने वाले प्रशिक्षित लोगों का विकल्प नहीं हो सकता जो घर-घर जाकर केस ढूंढ़ते हैं और उनके कॉन्टैक्ट्स की पहचान करते हैं. इससे संक्रमण की चेन तोड़ने में मदद मिलती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि हर स्थिति में हर देश के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग जरूरी है. एक मामले के क्लस्टर में तब्दील होने से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग रोकता है नहीं तो कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो सकता है.
WHO प्रमुख ने कहा है कि जिन देशों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है वो अपने यहां महामारी को कई हिस्सों में बांटकर उस पर नियंत्रण कर सकता है. जब तमाम देश में लॉकडाउन हटाए जा रहे हैं तो यह काफी जरूरी हो गया है.
हालांकि WHO ने कहा कि कोरोना को रोकने के लिए सिर्फ कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ही टूल नहीं है. लेकिन व्यापक रणनीति में इसे शामिल किया जाना चाहिए और यह सबसे जरूरी है. WHO ने कहा कि स्मॉलपॉक्स से लेकर पोलियो, इबोला और कोरोना तक, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग काफी कारगर साबित हुआ है.
WHO ने कहा कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में पिछले महीने इबोला खत्म हो गया. लेकिन इससे हम ये सीख सकते हैं कि सबसे मुश्किल वक्त में और सुरक्षा की समस्याओं के साथ भी हम कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर सकते हैं. पिछले साल जब यहां इबोला के मामले सामने आए थे तो एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई थी कि क्या हम इस पर काबू हासिल कर सकेंगे.

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