नागपंचमी कल, मिट्टी से सांप की आकृति बनाकर करें पूजा

पटना। सावन महीने की शुक्ल पंचमी तिथि को प्रतिवर्ष नाग पंचमी मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 25 जुलाई शनिवार को शिव योग में मनेगा। ज्योतिष के अनुसार इस साल नागपंचमी का पर्व उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र के प्रथम चरण के दुर्लभ योग में पड़ रहा है। नागपंचमी के दिन भगवान महादेव और पार्वती के साथ नाग-नागिन की पूजा श्रद्धा-पूर्वक करें। मिट्टी, आटे का नाग की प्रतिमा बनाकर विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करें। आचार्य राकेश झा ने बताया कि पंचमी तिथि 24 जुलाई शाम 4.10 बजे से 25 जुलाई को दोपहर 1.55 बजे तक है। पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक है। अग्नि पुराण, स्कंद पुराण व भविष्य पुराण में भी नाग देवता की पूजा करने का विधान है। भगवान शिव के गले का हार, भगवान विष्णु की शैय्या बना नाग पृथ्वी का भार भी अपने फन पर धारण किए हुए है। नागपंचमी का पर्व सांपों के संरक्षण और जैव विविधता को बनाये रखने का संदेश देता है। कोरोना काल में व्रत करने वाले श्रद्धालु अपने घर पर मिट्टी, गोबर या आटे से सर्प की आकृति बनाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। उत्तर भारत में नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा होती है, जिन्हें नागों की माता कहा जाता है।

फसलों की रखवाली करने में सांपों की अहम भूमिका -
पशु-पक्षी विशेषज्ञ डॉ. समीर सिन्हा कहते हैं कि पर्यावरण को संतुलन बनाने में हर जीव-जंतु की अहम भूमिका है। सांप हमारे दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले चूहे और कीड़े-मकोड़ों को आहार बनाकर सांप फसलों की रक्षा करते हैं। विज्ञान के अनुसार सांप को दूध नहीं पिलाना चाहिए। ये स्तनधारी जीव नहीं हैं। सांप का पाचन तंत्र ऐसा नहीं होता है कि वह दूध को पचा सके। इसके कारण सांप की असमय मौत भी हो जाती है।

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