लीडरशिप क्वालिटी आज की जरूरत, सकारात्मक सोच से बढ़ेगी क्षमता



आज बहुत दिनों के बाद एक बहुत पुराने स्टूडेंट दीपक कुमार का फोन आया। वह बहुत खुश था। हाल-चाल पूछने के बाद उसने बताया कि इस कोविड-19 के संकट के दौर में उसने जिस तरह से ऑनलाइन काम किया है, उसके लीडरशिप की क्षमता को देखते हुए मल्टीनेशनल कंपनी ने बड़ा प्रमोशन दिया है। आगे उसने बताया कि सर, यह सब तो मैंने आपसे पढ़ने के दरम्यान ही सीखा है। कभी-कभी कुछ लोग गलतफहमी में लीडरशिप का अर्थ सीधा राजनीति लगा लेते हैं। मेरी समझ से लीडर को सबसे अच्छे तरीके से जॉन क्विंसी एडम्स ने परिभाषित किया है।
उन्होंने बताया कि 'अगर आपके प्रयास दूसरों को ज्यादा सपने देखने, ज्यादा सीखने और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करे तो आप एक लीडर हैं'। दरअसल आप चाहे किसी भी सरकारी संस्थान में कार्यरत हों या फिर किसी प्राइवेट कंपनी में हों, लीडरशिप क्वालिटी आज के दौर की जरूरत बन गई है। आजकल आमतौर पर कंपनियों को मैन्यूफेक्चरिंग, ह्यूमन रिसोर्स, सोर्सिंग, पर्चेजिंग, प्रोजेक्ट मैनेजर जैसे जॉब के लिए ऐसे युवाओं की तलाश रहती है, जो टीम को साथ लेकर चल सकें, तुरंत निर्णय ले सकें और कंपनी को हर परिस्थिति से उबार सकें। यही नहीं अगर आपमें लीडरशिप क्वालिटी है तब आप उड़ान भरने के लिए किसी भी ऊंचाई पर जा सकते हैं।
जब हम बच्चों के भीतर लीडरशिप क्वालिटी को विकसित करने की बात करते हैं तब हम लोगों को बचपन से ही ध्यान देना होगा, तभी आगे चलकर बच्चे इसका लाभ अपने कॅरियर में उठा सकेंगे। माता-पिता, शिक्षकों का इसमें अहम रोल होता है कि बच्चों के भीतर नेतृत्व के गुण कैसे विकसित किए जाएं। शोध संकेत करते हैं कि बच्चों में स्वयं सीखने की अंदरूनी क्षमता होती है। एक छोटा बच्चा अपने परिवार और आस-पास के माहौल से बोलना और तर्क करना सीखता है। बच्चों को शुरुआती दौर में कई तरह की सूचनाएं एवं जानकारियां इसी परिवेश से मिलती हैं और उन पर इसकी छाप अमिट पड़ती है।
आगे चलकर ये जानकारियां और सूचनाएं ही उसकी रुचि का विकास करती हैं। अतः जिस बच्चे के पास जितनी विविध सूचनाएं और जानकारियां होंगी, भविष्य में वह उतना ही अच्छा करेगा। कम उम्र के बच्चों पर कहानियों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। बच्चों को साहसिक कारनामों तथा नेतृत्व क्षमता पर आधारित कहानियां सुनाएं और थोड़ी उम्र बढ़ने पर उन्हें ऐसी कहानियों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें। इंटरनेट के ज़माने में यूट्यूब पर भी महान विभूतियों के बारे में वीडियो देखने के लिए प्रेरित करें। बच्चों में टीम भावना विकसित करने के लिए कहानियों के साथ-साथ उन्हें ऐसे खेलों के लिए भी प्रोत्साहित करें, जो समूह में खेले जाते हैं। फिर चाहे वह हॉकी हो, फुटबॉल हो, क्रिकेट हो या कबड्डी। समूह में खेले जाने वाले खेलों से सकारात्मक सोच, विषयों के प्रति अलग नजरिया व नेतृत्व क्षमता के अलावा हर चुनौती को स्वीकार करने का साहस भी विकसित होता है।
धीरे-धीरे बच्चे जोखिम उठाने और लक्ष्य हासिल करने के आदी होने लगते हैं। फिर क्लास में मॉनीटर, नाटक का डायरेक्टर, टीम कैप्टन, हाउस कैप्टन आदि बच्चा बनता है तो उसमें नेतृत्व की क्षमता विकसित होती है। अब अहम सवाल है कि जिन जीवन-मूल्यों के बारे में हम शिक्षक और माता-पिता बच्चों से बातें करते हैं, उन्हें सिखाते हैं, क्या उन तमाम बातों का पालन हम सिखाने वाले स्वयं करते हैं? यह अलग बात है कि अगर बच्चा खुद बहुत समझदार हो, उसकी तार्किक क्षमता मजबूत हो, तो वह सही-गलत का फैसला खुद कर सकता है। वरना खुद भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के बच्चों से ईमानदार होने की आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं।

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