MIT में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन, डॉ.संजय शुक्ला बोले- बाधाओं को देखकर शोध नहीं करना अभिशाप

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जानवर भी अपने अस्तित्व एवं फायदे के लिए खोज एवं इनोवेशन करते हैं। ऐसे में हम इंसानों को शोध क्यों नहीं करना चाहिए। प्रत्येक परिस्थितियों में कुछ न कुछ बाधाएं होती ही हैं। बाधाओं को देखकर रिसर्च नहीं करना अभिशाप है। ये बातें इडिथ कोवन यूनिवर्सिटी, पर्थ,ऑस्ट्रेलिया के प्रो.(डॉ)संजय कुमार शुक्ला ने एमआइटी और स्टेट प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट की ओर से आयोजित ई संगोष्ठी में कही। एमआइटी में आयोजित संगोष्ठी को प्रो. शुक्ला बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। सूबे के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राध्यापकों के साथ रिसर्च कैसे करें इस विषय पर उन्होंने विस्तृत चर्चा की। रिसर्च के लिए सात महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि शोध के लिए ऐसे विषय का चयन करने का प्रयास करें जिसपर पहले शोध नहीं हुआ हो। अच्छी गति से गणितीय आंकड़ों का विश्लेषण करें। अपने शोध को नैनो व माइक्रो स्तर पर प्रदर्शित करने का प्रयास करें। वैज्ञानिक थ्योरी इक्वेशन विकसित हो यह कोशिश करें। यदि उसी विषय पर अन्य शोध किया गया हो तो उससे अपने शोध की तुलना जरूर करें। अपने शोध कार्यों को हमेशा संक्षिप्त और स्पष्ट साधारण अंग्रेजी में लिखें। व्याकरण की अशुद्धियां कम हों इसका ख्याल रखें।
संगोष्ठी के संरक्षक सह प्राचार्य डॉ.जेएन झा ने कहा कि शिक्षक की जिम्मेदारी सिर्फ यूजी-पीजी कोर्स को पढ़ा कर समाप्त करना ही नहीं है बल्कि विभिन्न स्थानीय समस्याओं का समाधान भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। अधिकतर समय रिसर्चर विभिन्न समस्याएं जैसे-अनुसंधान संस्कृति की कमी, फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी जताते हुए शोध नहीं कर पाते हैं। रिसर्चर को समस्या का समाधान ढूंढने का शौक होना चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ.संजय शुक्ला का परिचय एवं स्वागत प्रो.आशीष कुमार ने किया।
उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में बहुत सारी बुनियादी समस्याएं हैं। यह वेबिनार हमें इन समस्याओं के समाधान के लिए मोटिवेट करेगा। ई.संगोष्ठी में देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के लगभग 180 प्राध्यापकों ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन एसपीआइयू के नोडल पदाधिकारी डॉ.बुशरा जमाल ने किया। कार्यक्रम के सह संयोजक प्रो.विजय कुमार एवं संस्थान के अन्य प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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