देसी राखी बांधकर बहनें करेंगी चीन की नीतियों का बहिष्कार

अररिया। रक्षा बंधन पर्व पर इस वर्ष अधिकतर बहनों ने देसी राखी बांधकर न सिर्फ भाई बहन के पवित्र प्रेम को मजबूत बनाएगी बल्कि चीन को भी करारा जवाब देने की तैयारी कर रही हैं। अतिथि देवो भव के सिद्धांत पर चलने वाला हमारे देश पर जब कोई बुरी नजर डालता है तो भाई के साथ-साथ बहनें भी जबाव देने को तैयार रहती हैं। जब से भारत सीमा पर चीन हमारे वीर जवानों के साथ छलावा किया है तबसे देश में चीन के प्रति नफरत की आग जल रही है। पहले भारत सरकार ने टिकटॉक जैसे 49 चीनी एप पर प्रतिबंध लगाया फिर व्यवसायियों ने भी एक कदम आगे बढ़कर चीन से आयात घटाने लगे हैं। अब रक्षा बंधन के अवसर पर चीनी राखी खरीदारी में भी देशभक्त बहनें अरुचि जाहिर कर रही है ताकि उनकी आवाज चीन तक पहुंचे और उनके अर्थव्यवस्था कमजोर हो सके। अररिया चांदनी चौक के राखी विक्रेता दुकानदार संजीव कुमार ने बताया कि आगामी तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर्व है लेकिन राखी की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम हो रही है। अबतक करीब 25 प्रतिशत राखी की बिक्री हो जाती थी। बहनें देश विदेश में रह रहे भाइयों को राखी भेजती रही है लेकिन इस बार चीन के प्रति आक्रोश ने राखी बाजार में मंदी ला दी है। उधर जोकीहाट बाजार की किरण कुमारी, दिव्या, अररिया शिवपुरी मुहल्ला की शिवानी साहा, मीनाक्षी गुप्ता, सुरभि यादव, सीमा झा आदि ने बताया कि वे इस बार बाजार में बिकने वाली चीनी राखी नही खरीदेगी बल्कि घर में धागे से निर्मित राखी भाइयों के कलाई पर बांधेगी। बहनों ने बताया कि जो देश हमारे साथ दुश्मनी का बर्ताव करे तो फिर उस देश के उत्पाद को हम कैसे खरीद सकते हैं। चीनी राखी के विरोध का संदेश चीन तक ही नही दुनिया के हर उस देश तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है जो भारत के प्रति नफरत रखता हो।

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-कोट- चीन की भारत विरोधी नीतियों के विरोध में पूरा देश खड़ा है। यदि बहनें चीनी राखी नहीं खरीद रही हैं तो अच्छी बात है। यह बात भी चीन तक पहुंचनी चाहिए कि धोखा और व्यापार एक साथ नही चल सकता। - बासुकीनाथ ठाकुर,
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत शिक्षक, जोकीहाट।
Posted By: Jagran
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