सदर अस्पताल को कोरोना के इलाज के लिए मिलेंगे चार वेंटिलेटर मशीन

अररिया। जिले में कोरोना संक्रमण बढ़ने का सिलसिला जारी है। प्रतिदिन बढ़ रहे संक्रमण के मामले से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी चितित है। इधर कोरोना की रोकथाम को लेकर सरकार भी गंभीर है। लोगों को अस्पताल में बेहतर से बेहतर सुविधा मिले, इसको लेकर नई-नई योजनाएं बनाई जा रही है। इसी कड़ी में मरीजों को सहायता मुहैया कराने के लिए सदर अस्पताल में फिलहाल चार वेंटीलेटर लगाने का निर्णय लिया गया है। इससे कोरोना मरीजों को अस्पताल में इलाज के दौरान परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। राज्य स्वास्थ समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने इसको लेकर पत्र जारी किया है एवं इसे सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी (सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड) बीएमएसआइसीएल के निदेशक को सौंपी है।

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अररिया सीएस मदन मोहन प्रसाद सिंह और बीएमएसआइसीएल के निदेशक को जारी पत्र के मुताबिक भारत सरकार से प्राप्त 264 वेंटिलेटर्स को आवश्यकता अनुसार राज्य के सभी अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेज में वितरण कराने को कहा गया है। इनमें अररिया सदर अस्पताल को भी चार वेंटीलेटेर मशीनों की आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है। सीएस मदन मोहन प्रसाद सिंह ने बताया कि वेंटिलेटर्स श्वासं संबंधित मरीजों के लिए बेहद जरूरी है। इसके सहारे गंभीर से गंभीर सांस से संबंधित मरीजों को बचाया जा सकता है। बहुत सरल भाषा में कहें तो यह एक मशीन है जो ऐसे मरीजों की जिदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं। यदि बीमारी की वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालती हैं। इस बीच डॉक्टर इलाज के जरिए फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं।
इस संबंध में बीएमएसआइसीएल से जल्द समन्वय स्थापित कर जिला अस्पताल में वेंटिलेटर मशीनों को लगाये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जायेगी। कोरोना के संक्रमितों के लिए यह काफी उपयोगी सिद्ध हो सकेगा।
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दो तरह के वेंटिलेटर होंगे उपलब्ध- सीएस ने बताया कि वेंटिलेटर मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। पहला मेकेनिकल वेंटिलेशन और दूसरा नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन। दोनों तरह के वेंटिलेटर मरीजों की सुविधा के लिए उपलब्ध कराए जायेंगे। मेकेनिकल वेंटिलेटर के ट्यूब को मरीज के सांस नली से जोड़ दिया जाता है जो फेफड़े तक ऑक्सीजन ले जाता है। वेंटिलेटर मरीज के शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर खींचता है और ऑक्सीजन को अंदर भेजता है। दूसरे प्रकार के वेंटिलेटर को सांस नली से नहीं जोड़ा जाता है, बल्कि मुंह और नाक को कवर करते हुए एक मास्क लगाया जाता है जिसके जरिए इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। सीएस ने बताया कि दोनों ही मरीजों के लिए काफी उपयोगी है। ---------------- - डब्लूएचओ ने अस्पताल के लिए बताया है काफी जरूरी
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक वेंटिलेटर्स की पर्याप्त संख्या सभी अस्पतालों के लिए जरूरी है। कोरोना संक्रमित 80 प्रतिशत मरी•ा अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं। लेकिन छह में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर्स की आवश्यकता होती है। इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को सामान्य बनाया जाता है। -----------
कोट-
राज्य स्वास्थ समिति के कार्यपालक निदेशक का पत्र प्राप्त हुआ है। बहुत जल्द चार वेंटिलेटर्स को कोरोना अस्पतालों में लगाया जायेगा। मरीजों को वेंटिलेटर्स लगने से काफी सुविधा मिलेगी
- डॉ. मदन मोहन प्रसाद सिंह, सिविल सर्जन अररिया।
Posted By: Jagran
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