क्या है वीवो का गिम्बल कैमरा सिस्टम, ये कैसे काम करता है?

स्मार्टफ़ोन में इन-डिस्प्ले फ़िंगरप्रिंट सेन्सर, फ़ुल स्क्रीन डिस्प्ले और पॉप-अप सेल्फ़ी कैमरा इतना कॉमन हो गया है कि 10,000-15,000 रुपए के फ़ोन में भी मिल जाता है. लेकिन सबसे पहले इन टेक्नॉलजी को लेकर कौन आया था? चाइनीज़ स्मार्टफ़ोन कम्पनी वीवो. और अब यही कम्पनी स्मार्टफ़ोन के लिए एक और नई टेक्नॉलजी लेकर आई है, जिसका नाम है गिम्बल कैमरा.

ये टेक्नॉलजी वीवो के नए नवेले फ़ोन “वीवो X50 प्रो” में लगी हुई है. इससे होगा क्या? वीडियो फ़ुटेज स्टेबल, यानी कि स्थिर बनेगी. इससे पहले कि हम ये बताएं कि वीवो का गिम्बल कैमरा क्या और कैसे कम करता है, पहले जान लेते हैं कि गिम्बल क्या है.
गिम्बल क्या है?
अब गिम्बल को ब्रिटिश इंग्लिश में जिम्बल कहते हैं और अमेरिकन इंग्लिश में गिम्बल. अपने को गिम्बल बोलने में अच्छा लगता है, इसलिए हम तो गिम्बल ही कहेंगे. ये एक तरीक़े का पिवट सपोर्ट है, जो अंदर रखे हुए आइटम को ऐसे घुमाता है कि बाहिरी किसी भी तरह की मूवमेंट का असर अंदर नहीं पड़ता. पानी के जहाज़ पर यही वाला सिस्टम लगाकर कम्पस वग़ैरह लगाया जाता है, ताकि जहाज़ के हिलने का असर इन पर न हो. इसी सिस्टम को यूज़ करके बनाए गए हैं गिम्बल कैमरा स्टैंड.
ये एक ऐसा जुगाड़ है, जो कैमरे को स्टेबल रखने के काम आता है. मशीन पर कैमरा या फिर स्मार्टफ़ोन सेट कर दीजिए और स्टिक को पकड़कर टहलते-टहलते आराम से शूट कीजिए. जैसे बाइक में लगे हुए शॉकर झटके को ग़ायब कर देते हैं, वैसे ही गिम्बल स्टैंड में लगे हुए मोटर और सेन्सर झटके-वटके रोककर कैमरा को स्टेबल रखते हैं.
वीवो का गिम्बल कैमरा क्या है?
अब आते हैं वीवो की गिम्बल कैमरा टेक्नॉलजी पर. असली वाले गिम्बल की तरह ही वीवो का गिम्बल कैमरा टेक भी अंदर लगे हुए कैमरे को झटकों के हिसाब से दूसरी तरफ़ घुमाकर वीडियो को स्टेबल रखता है. वीवो X50 प्रो का 48MP सोनी IMX598 सेन्सर गिम्बल टेक पर लगा हुआ है. नीचे लगी हुई वीडियो में इसको आसानी से समझ सकते हैं.गिम्बल कैमरा OIS और EIS से अलग कैसे?
स्मार्टफ़ोन में बहुत पहले से दो ऐसी टेक्नॉलजी चल रही हैं, जो वीडियो फ़ुटेज को स्टेबल रखने की कोशिश करती हैं. एक है EIS, यानी इलेक्ट्रॉनिक इमेज स्टेबलाइज़ेशन, और दूसरी है OIS, यानी ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइज़ेशन. गिम्बल कैमरा इन दोनों को ही पछाड़ देता है.
EIS वीडियो क्रॉप करके, यानी किनारों को काटकर ऐसी फ़ुटेज शूट करता है, जो देखने में स्टेबल लगती है. OIS इससे बेहतर है, जो कैमरा सेन्सर को दो एक्सिस यानी कि ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं हिला सकता है. फ़ोन की मूवमेंट के उलट कैमरा को हिलाकर रिकॉर्डिंग को स्टेबल किया जाता है.
गिम्बल और OIS में फ़र्क़ इसी हिलने-डुलने की फ़्रीडम का है. जहां OIS सिर्फ़ ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं ही हिल पाता है, गिम्बल स्टेबलाइज़ेशन सामने की तरफ़ पूरे एरिया में रोटेट होता है. इस तरह और बेहतर तरीक़े से कैमरा सेन्सर को स्टेबल रख पाता है. इसका सीधा-सीधा फ़र्क़ तब दिखेगा, जब आप रिकॉर्डिंग ऑन करके दौड़ना शुरू कर देंगे.

अन्य समाचार