आखिरी सांस तक पिता की सेवा कर निभाया पुत्र धर्म

संवादसूत्र,गिरियक: कोरोना वायरस का डर लोगों पर इस कदर हावी हो गया है कि लोग अपनों से भी परहेज करने लगे है। कई मामलों में तो मृतक के परिजन इस डर से शव को छोड़कर भाग गए कि कहीं कोरोना वायरस से संक्रमित न हो जाए। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग के कोरोना फाइटर भी 21 घंटों तक कोरोना से मरे शव को उठाने नहीं आ रहे हैं । कुछ लोग ऐसे है जो अपने बुजुर्ग माता-पिता को अस्पताल पहुंचाकर भाग गए। लेकिन हिलसा निवासी पंकज कुमार उन लोगों में से नहीं निकले। उन्होंने कोरोना से सक्रंमित पिता की अस्पताल में रहकर 10 दिनों तक सेवा की।

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पिता व पुत्र दोनों ने कोरोना की जांच कराई थी जिसमें पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और इनकी रिपोर्ट नेगेटिव । जिसके बाद लोगों ने इन्हें सलाह दी कि कोरोना का संक्रमण ज्यादा है ।आप घर चले जाएं । लेकिन पिता के मोह ने इन्हें अस्पताल से घर जाने नहीं दिया । पिता की हालत बिगड़ती जा रही थी ,सांस लेने में दिक्कत हो रही थी । इसके बाद इन्होंने अस्पताल कर्मी को आईसीयू में शिफ्ट कराने को कहा। एक घंटे तक कोई नहीं आया। इसके बाद खुद ही स्ट्रैचर की व्यवस्था कर अपने पिता को नीचे आईसीयू में भर्ती कराया । उसके बाद पंकज किसी तरह 10 दिन तक अस्पताल में वक्त गुजारा। लोगों के मना करने पर पुत्र ने जवाब दिया कि आज वह जो कुछ भी है ,वह अपने पिताजी की वजह से है । मैं इनको इस हाल में नहीं छोड़ सकता हूं । 10 दिनों के बाद पिता कोरोना से जंग हार गए। वह इलाके के प्रतिष्ठित वकील थे। हिलसा अधिवक्ता संघ के महासचिव पंकज कुमार सोनभद्र ने भारी मन से कहा कि पिता के अंतिम संस्कार के बाद ही वह जांच कराएंगे। उन्होंने बताया कि 12 घंटे बीतने के बाद भी अ एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई थी। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां किसी भी मरीज की देखभाल नहीं की जा रही है अगर किसी नर्स या अटेंडेंट को दवा या सुई के लिए बोलना पड़ता है तो उन्हें एक घंटा लगता है।
Posted By: Jagran
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