अर्ली वार्निंग सिस्टम भी नहीं आ रहा काम, वज्रपात से जा रही जान

पूर्णिया [मनोज कुमार]

एक ओर जहां कोरोना से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं वहीं आकाशीय बिजली भी लोगों पर कहर बन कर टूट रही है। अर्ली वार्निंग सिस्टम के बावजूद यहां वज्रपात से लोगों की लगातार मौत की सूचनाएं सूर्खियां बन रही हैं। वज्रपात की पूर्व सूचना देने के लिए आपदा विभाग ने इंद्रवज्र एप लांच किया है। मौसम विभाग द्वारा भी दो-तीन घंटे पहले वज्रपात की फोरकास्टिग की जाती है। कितु समय पर सटीक सूचना नहीं मिलने के कारण वज्रपात से लोगों की जान बचाने में ये सक्षम साबित नहीं हो पा रहे हैं। इस मानसून जिले में अब तक 13 लोगों की जान वज्रपात की चपेट में आने से हो चुकी है। अगर सिस्टम कारगर होता तो इतने लोगों को मौत से बचाया जा सकता था। प्रभारी आपदा प्रबंधन पदाधिकारी का कहना है कि एप के माध्यम से लोगों को सूचना दी जाती है लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी है जिस कारण यहां वज्रपात से मौत हो रही हैं। इंद्रवज्र एप भी नहीं आ रहा काम सरकार के आपदा पबंधन विभाग ने इंद्रवज्र एप मोबाइल एप लांच किया है जो वज्रपात से 40-45 मिनट पहले अलर्ट जारी करता है। इस एप को गूगल प्ले स्टोर से एंड्रायड स्मार्टफोन में डाउनलोड किया जा सकता है। डाउनलोड होने के बाद इस रजिस्ट्रेशन करानी होती है जिसके बाद यहलोकेशन की परमिशन लेता है। इसके बाद 40-45 मिनट पहले लोकेशन के करीब 20 किमी के रेंज में यह अलर्ट मैसेज भेजता है। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में हर लोगों के पास मोबाइल फोन की सुविधा नहीं होने तथा जागरूकता की कमी के कारण लोगों को इसका अधिक लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है अधिक मौत इस मानसून वज्रपात से मौत की जितनी भी घटनाएं हुई हैं उनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र से हैं। धमदाहा में वज्रपात से एक साथ एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत की घटना को छोड़ दें तो अधिकांश मौत की घटनाएं घर से बाहर खेतों में फसल की देखभाल करने के दौरान अथवा मवेशी चराने के दौरान हुई हैं। धमदाहा में सिघाड़ापट्टी गांव में गत 19 जुलाई को एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत वज्रपात से उस समय हो गई जब वे लोग अपने घर में बैठे थे। उनका घर फूस का था जहां पिता कैलाश मंडल, पुत्र दिलखुश कुमार और उसकी बहु निभा देवी बैठे थे। अचानक बारिश शुरू हुई तथा घर पर ही ठनका गिर गया जिससे तीनों उसकी चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई। इससे पूर्व 19 मई को भी बायसी अनुमंडल में एक ही दिन वज्रपात से पांच लोगों की मौत हो गई थी। उनमें तीन महिलाएं एवं दो युवक शामिल थे। हरिणतोड़ पंचायत की शंकुतला देवी, विशाल महलदार और सबिता देवी बारिश से बचने के लिए एक पेड़ के नीचे खड़ी हो गई। इसी दौरान ठनका गिरा और शंकुतला और विशाल की मौत मौके पर हो गई। वहीं मझुवा गांव की नाजित परवीन खेत में काम कर रही थी जब वज्रपात हुआ। जबकि अबुसलाह एवं आनबेरूण बेगम मवेशी चरा रही थी। उन तीनों की जान भी नहीं बच पाई। इसी तरह अन्य छह लोगों की मौत भी वज्रपात के समय खेतों और पेड़ के नीचे रहने से हो गई। यदि लोग आपदा के प्रति जागरूक हों तो वे इस प्राकृतिक आपदा के प्रकोप से बच सकते हैं।

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कोट के लिए- वज्रपात को लेकर जिले से कम से कम दो घंटा पहले संबंधित प्रखंडों को सूचना भेजी जाती है तथा मोबाइल के माध्यम से इसे आम लोगों को सचेत किया जाता है। लोगों को विभिन्न माध्यमों से बार-बार वज्रपात से सुरक्षा को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए जाते हैं। मानसून के समय जिले में अब तक 13 लोगों की जान गई है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सभी मृतकों के परिजनों को निर्धारित सहायता राशि प्रदान की जा रही है। संजय कुमार, प्रभारी आपदा प्रबंधन पदाधिकारी

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Posted By: Jagran
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