बूढ़ी गंडक खतरे के निशान से पार, तटबंध पर बढ़ा दवाब

मंझौल (बेगूसराय) : मंझौल अनुमंडल मुख्यालय सहित अन्य क्षेत्रों में बूढ़ी गंडक के बढ़ते जलस्तर से लोगों में भय बना हुआ है। बाढ़ नियंत्रण विभाग के द्वारा कटाव एवं पानी के रिसाव की सूचना मिलने वाली जगहों पर फ्लड फाइटिग जारी है। मंझौल अनुमंडल को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली एसएच 55 सिवरी पुल में लगे मीटर गेज में बेगूसराय बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के जेई प्रभास कुमार ने बताया कि बुधवार की सुबह जलस्तर 41.43 मीटर दर्ज किया गया। उन्होंने बताया यहां पर बूढ़ी गंडक खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बताते चलें कि मुख्य रूप से मंझौल रोसड़ा बाढ़ प्रमंडल में आता है, जहां बूढ़ी गंडक बीते कई दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। परंतु, सिवरी पुल के मीटर गेज में सोमवार की आधी रात के बाद जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। जिससे मंझौल अनुमंडल मुख्यालय के पबरा गांव में बूढ़ी गंडक नदी के बाएं तटबंध पर दवाब बढ़ गया है। पबरा बना हॉटस्पॉट

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बताते चलें कि बूढ़ी गंडक के उत्तरी तटबंध के बगल में बसे मंझौल के पबरा में साल 2017 में बाढ़ का खतरा मंडराया था। परंतु, उस वक्त सतर्कता से टल गया। इस साल देर से अधिकारियों की नींद खुली और और कटाव निरोधी कार्य तेज हो गए हैं। मंगलवार को पबरा घाट के समीप झाड़ियों काटकर जानवरों के खोह को बंद करने का काम चल रहा है। शाम होते-होते पबरा घाट से दो सौ मीटर पश्चिम अर्धनिर्मित पानी टंकी के पास तटबंध के आरपार पानी का रिसाव होने से गांव के लोग सहम गए। बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों एवं ग्रामीणों की चौकसी से आधी रात तक हालात पर काबू पा लिया गया। बुधवार की अल सुबह फिर उसी जगह पर दूसरे जगह से रिसाव शुरू हो गया। मौके की नजाकत को देखते हुए विभागीय स्तर से युद्ध स्तर पर काम जारी है। बाढ़ नियंत्रण विभाग के एसडीओ रविकांत, जेई राजीव कुमार, संवेदक संजय कुमार ईश्वर, सामाजिक कार्यकर्ता रंजन सिंह, पंसस मतलूब भारती, ग्रामीण मुरारी सिंह, रौशन कुमार, प्रकाश भारती, दीपक कुमार, रोहित कुमार, सुशील कुमार, अमन कुमार सूरज कुमार, रामबाबू सिंह, अंकित राज आदि लगे हुए हैं। क्या कहते हैं बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल रोसड़ा के एसडीओ
बाढ़ नियंत्रण विभाग के एसडीओ रविकांत कुमार ने बताया कि साफ पानी का रिसाव होने पर किसी भी प्रकार का खतरा नहीं होता है। ग्रामीणों को किसी भी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। तटबंध के नदी वाले भाग में एनसी, ईसी के साथ बैग पिचिग का काम किया जा रहा है। तटबंध के बाहरी भाग में जीटी फिल्टर, प्लास्टिक, सेंड बैग, बालू गिट्टी आदि चीजों का उपगोग करते हुए रिसाव को पूर्णत: रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
Posted By: Jagran
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