बारिश के पानी को संरक्षित कर रेलवे करेगी कोचों की सफाई

किशनगंज। भूमिगत जल की कमी देश में विकराल समस्या बनती जा रही है। घरेलू एवं औद्योगिक उपभोग के लिए व्यापक मात्रा में जमीन से पानी की निकासी के कारण देश के अधिकतर हिस्से में पानी का स्तर नीचे जा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए इस्तेमाल किए गए जल की रिसाइक्लिग के साथ-साथ जल के इस्तेमाल को कम करने की आवश्यकता है। भारतीय रेल ने इस दिशा में नई पहल की है। जिसमें वर्षा के पानी का संरक्षण, वाटर रिसाइक्लिग प्लांट व यांत्रिक विधि से कोचों की सफाई आदि शामिल है।

रेलवे के इस पहल से ट्रेनों के परिचालन के लिए आवश्यक जल के उपभोग में काफी बचत होगी। इसी कड़ी में नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे के द्वारा विभिन्न पिट लाइनों व डिपो में स्वचालित कोच धुलाई संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। कटिहार, न्यू जलपाईगुड़ी, सिलिगुड़ी (डीईएमयू), अलीपुरदुआर, नाहरलगून, डिब्रुगढ़, सिलचर तथा अगरतला में स्वचालित कोच धुलाई संयंत्रों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इस संयंत्रों की स्थापना होने से जल का उपभोग प्रति ट्रेन रैक 10 हजार लीटर के घटकर छह हजार लीटर हो जाएगा। इसके अलावा, इस्तेमाल किए गए 75-80 प्रतिशत जल अन्य कार्यों में इस्तेमाल के लिए रिसाइकिल भी किया जा सकता है।
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एनएफ रेलवे के सीपीआरओ शुभानन चंद्रा ने बताया कि इस प्रणाली के द्वारा सफाई के लिए कम पानी, कम विद्युत व कम रसायन (साबुन) के उपभोग होने के कारण स्वचालित कोच धुलाई प्रणाली पयऱ्ावरण के अनुकूल है। साथ ही मात्र 10-15 मिनट की अवधि में 24 कोचों वाली पूरी ट्रेन रेक की उत्तम गुणवत्ता वाली बाहरी सफाई की जा सकती है। स्वचालित कोच धुलाई संयंत्र शौचालय के नीचे हिस्से की सफाई एवं कीटाणुनाशक में भी सक्षम है। सफाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से दोबारा इस्तेमाल के लिए रिसाइक्लिग किया जा सकता है।
Posted By: Jagran
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