स्वदेशी राखी की डोर से मजबूत होंगे भाई-बहन के रिश्ते

बक्सर : भाई-बहन के प्रेम का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन में अभी दो दिन शेष है। इस बार यह पर्व खास होगा। भाइयों की कलाई पर विदेशी नहीं स्वदेशी राखिया बंधेंगी। स्थानीय नगर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्राएं खुद राखी बना रही हैं। इनका उद्देश्य स्वदेशी राखियों की बाजार में बिक्री के बजाए चाइनिज उत्पाद का का बहिष्कार और स्वदेशी सामानों के प्रति आमलोगों को जागरूक करना है।

छात्राएं अपने आसपास के घरों से चीन निर्मित राखी को निकाल दिा है। वहीं, स्वदेशी राखियों को घरों-मोहल्लों तक पहुंचना शुरू कर दिया है। ये स्वदेशी राखियां चीन की राखियों से बेहतर दिख रही हैं। घरों में यह राखियां पारंपरिक और आसानी से मिलने वाले उत्पादों से तैयार की जा रही है। अभाविप के प्रदेश छात्रा प्रमुख वंदना भगत ने कहा कि एक ओर जहां सीमा पर चीनी सैनिकों द्वारा हमारे सैनिकों पर घात लगाकर प्रहार किया जा रहा है। ऐसे में अपने भाइयों की कलाई पर चाइनीज राखी बांधकर उनका अपमान करने से बेहतर है कि हम खुद राखी बनाकर बांध उनका सम्मान बढ़ाएं। छात्राओं का कहना है कि कोराना वॉरियर्स के रूप में काम करनेवाले पुलिस-प्रशासन, पत्रकार, डॉक्टर सहित स्वयंसेवी संगठन से जुड़े लोगों को स्वदेशी राखी बांधकर सम्मानित किया जाएगा। स्वदेशी राखियां बना रही अभाविप की कार्यकर्ता अनु, तनु, अंतिमा, रागिनी, कृतिका राज, सुनिधि और रिमझिम आदि चीन से तनाव के बाद अलग स्वेदशी राखियां कर रही हैं। घर में बनी राखियों की कीमत चीन के मुकाबले अनमोल है और दिखने में खूबसूरत भी है। मोती, उलेन, रेशम के धागे और स्वदेशी उत्पाद से राखियों को तैयार किया जा रहा है।
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Posted By: Jagran
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