जब संजय दत्त को असली शादी में जाकर करनी पड़ी थी शूटिंग

दोस्तों, ये किस्सा तब का है जब साल २००० में संजय दत्त बॉलीवुड में अपने करियर को लेकर जूझ रहे थे। अच्छे निर्माता-निर्देशकों के साथ काम करने के बावजूद उनकी फ़िल्में कुछ ख़ास नहीं कर पा रही थी।

 संजय दत्त को कभी बेहतरीन अभिनेता या बॉलीवुड का सुपरस्टार नहीं माना गया। उस समय संजय दत्त के हिस्से निर्देशक संजय गुप्ता की फिल्म 'कांटे' को छोड़कर कोई ऐसी फिल्म नहीं आयी जो दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच सके। ऊपर से कोर्ट-कचहरी के चक्कर में इमेज को भारी नुक्सान हुआ था वो अलग।
 तभी संजय के करियर में वो फिल्म आयी जो न सिर्फ उनके ठप पड़े करियर को सही रास्ते पर ले आयी, बल्कि बिगड़ी हुई इमेज को सुधारने में भी कारगर साबित हुई। उस फिल्म का नाम था 'मुन्ना भाई एमबीबीएस', जिसका निर्देशन राजकुमार हिरानी कर रहे थे।
 राजकुमार हिरानी की बतौर निर्देशक ये पहली फिल्म थी। इसकी कहानी वो पिछले कुछ सालों से लिख रहे थे। राजू को ये आइडिया मेडिकल वाले कुछ दोस्तों के साथ रहकर आया था। कॉलेज के समय राजू के दोस्तों ने मेडिकल फील्ड को चुना और राजू कॉमर्स की पढ़ाई करने लगे।
 जैसे ही कॉमर्स क्लास ख़त्म होती, राजू अपने मेडिकल वाले दोस्तों के पास आ जाते थे। ऐसे में मेडिकल स्टूडेंट के साथ काफी समय बिताने को मिला, जिसे उन्होंने बहुत करीब से और गौर से देखा था। इसके बाद उनके किसी जानने वाले की तबियत ख़राब हो गयी और उनका सामना फिर एक बार डॉक्टरों से हो गया। इन दो घटनाओं ने उन्हें मेडिकल फील्ड की बढियां जानकारी मुहैया कराई।
 राजू ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि छोटी-छोटी बातें, जो उन्हें दिलचस्प लगती थी, वो उन्हें कहीं नोट कर लेते थे। बाद में इन चीजों को अपनी फिल्मों में इस्तेमाल किया करते।
 पहले राजकुमार हिरानी एक गुंडे की कहानी लिख रहे थे। जिसे एक बार सिरदर्द होता है। वो कई डॉक्टरों के पास जाता और पैसा भी खूब खर्च करता है। अगले दिन वो सिरदर्द अपने आप ठीक हो जाता है, क्योंकि उसे रात की पार्टी का हैंगओवर था। मगर राजू को ये कहानी कुछ जमी नहीं, जिसके बाद मुन्ना भाई एमबीबीएस की कहानी लिखने का सिलसिला शुरू हुआ।
कहानी लिखने का काम पूरा करते ही राजू फिल्म की कास्टिंग के लिए विधु विनोद चोपड़ा के पास पहुंचे। राजू ने ये कहानी अनिल कपूर को ध्यान में रखकर लिखी थी। मगर विधु विनोद चोपड़ा ने कहानी सुनने के बाद फिल्म को खुद प्रोडूस करने की इच्छा जाहिर की और काफी विचार-विमर्श के बाद फिल्म में लीड रोल के लिए शाहरुख खान को लेने की बात कही।
शाहरुख़ खान के साथ मीटिंग फिक्स की गयी और पहली बार राजू, शाहरुख़ खान से फिल्म 'देवदास' के सेट पर मिले। शाहरुख़ को कहानी अच्छी लगी और उन्होंने राजू को अगले हफ्ते मिलने के लिए बुलाया। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। शाहरुख़ को इंजरी हो गयी, जिसके चलते उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी।
इसके बाद फिल्म 'कंपनी' के कुछ दृश्य देखने के बाद विवेक ओबेरॉय के नाम पर विचार किया गया। ये भी न हुआ तो सीन में जिमी शेरगिल आये और संजय दत्त को एक गेस्ट रोल में कास्ट कर किया गया। आखिरकार किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, होते-होते कुछ ऐसा हुआ कि जिमी और संजय दत्त के रोल आपस में बदल दिए गए। अब संजय दत्त फिल्म में लीड रोल कर रहे थे और जिमी को जाहिर का किरदार दिया गया।
जब ये फिल्म बन रही थी, तो इसका बजट काफी सीमित रखा गया था। 'मुन्ना भाई एमबीबीएस' के आखिर में एक सीन आता है, जिसमें मुन्ना की शादी हो रही है। इस सीन को फिल्माने के लिए राजू एक प्रॉपर सेट और गेटअप चाहते थे। फिल्म का बजट कम था, तो जहां शूटिंग हो रही थी, उस जगह से दस मिनट की दूरी पर एक शादी का हॉल था, जिसमें हर दिन किसी न किसी की शादी हो रही थी।
इस खर्चे से बचने के लिए उन्होंने अपने एक असिस्टेंट को शादी के हॉल में भेजा और सिर्फ दस मिनट के लिए स्टेज मांगा। हॉल वाला मान गया और कहा कि यहां की शादी दस बजे तक ख़त्म हो जाती है। जैसे ही यहां से लोग निकालेंगे वो राजू की टीम को फ़ोन कर देंगे।
दस का साढ़े दस बज गए, मगर हॉल वाले का कोई फ़ोन नहीं आया। फिर राजू की टीम ने उनके यहां फ़ोन किया तो हॉल वाले ने बताया कि लोग अभी भी यहीं है, जैसे ही निकालेंगे फ़ोन कर देंगे। ग्यारह बजे हॉल वाले का फ़ोन आया और उन्होंने शूटिंग के लिए बुलावा भेज दिया।
हिरानी अपने एक इंटरव्यू में बताते है कि जैसे ही वो हॉल में घुसे, तो असली दूल्हा-दुल्हन बस स्टेज से उतर ही रहे थे। ऐसे में सब लोग वहां ये सोच रहे थे कि संजय दत्त यहां क्या कर रहे है? फिर क्या था, फ़िल्मी दूल्हा-दुल्हन स्टेज पर चढ़ गए और साधारण कैमरों से तस्वीरें खींचने के बाद ये लोग वहां से निकल गए। बाद में इन तस्वीरों को फिल्म के आखिर में शादी के रूप में दिखाया गया।
जब फिल्म रिलीज़ हुई, तब दर्शकों को कुछ नया देखने को मिला। दर्शकों की प्रतिक्रिया जानने के लिए राजकुमार हिरानी और बोमन इरानी समेत कुछ लोग मुंबई के कुछ सिनेमाघरों में पहुंचे। जब ये लोग पहुंचे तब कैरम वाला सीन चल रहा था, जहां रुस्तम के पप्पा, मुन्ना, सर्किट और जाहिर कैरम खेल रहे होते है। ये सीन पूरा होने पर दर्शकों ने खूब तालियां बजायी। दर्शकों का ऐसा रिएक्शन देखकर बोमन इरानी इमोशनल हो गए और वही खड़े-खड़े रो पड़े।
फिल्म सुपरहिट हुई, बॉक्स ऑफिस पर सिल्वर जुबली भी की, इतना ही नहीं फिल्मफेयर, आईफा जैसे कई अवार्ड्स जीतने के साथ-साथ नेशनल अवार्ड भी इस फिल्म ने अपने नाम किया।

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