पूरी नहीं हो पाई है धान की रोपनी, किसान परेशान

मुंगेर । मानसून की बेरूखी एवं सिचाई सुविधा के अभाव के कारण किसान धान की रोपनी नही कर पा रहे है। सरकारी आकड़े कुछ भी कहे लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि क्षेत्र में 50 प्रतिशत भी धान की रोपनी नही हुई है। नहर के आउटलेट से निकला पानी पुन: नहर में आ जाता है। लेकिन खेतों तक नही पहुंच पाता है। इसकी बड़ी वजह है नहर के फॉल से निकलने वाला पानी, डाड़ के टूटे सरंचना में चला जाता है। टूटे संरचना के कारण किसानों के खेतों तक पानी नही पहुंच पाता है। बारिश नही होने के कारण किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। चौरगांव गांव के कांतिलाल यादव , संजय यादव आदि ने कहा कि बहियार यूं खाली पड़ा हुआ है। वर्षा नही होने के कारण धान की रोपनी में परेशानी हो रही है। जिन किसानों ने धान की रोपनी किसी तरह कर ली । अब वह बर्बाद हो रहे। फसल को बचाने के लिए पंपसेट के जरिए पटवन करा रहे है। जिससे किसानों का लागत बढ़ गया है। किसान अवघेश कुमार , पंकज कुमार , निरंजन , जितेन्द्र सहित कई किसानों ने कहा कि हम लोग मानसून के वर्षा पर अधारित है। मानसून में हल्का वर्षा होने पर खेत में रोपनी तो किसी तरह करा लिए। लेकिन पटवन नही हो पाई है। स्टेट बोरिग से पटवन कराने में एक बार में 300 रुपये बीघा लग जाता है। जो मध्यम वर्ग के किसानों की बूते की बात नहीं है। खेतों में अधिक पूंजी खर्च हो जाने से किसानों की स्थिति बिगड़ जाती है।

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Posted By: Jagran
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