बिहार से केंद्र ने कोविड-19 की जांच के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ाने के लिए कहा

बिहार में कोरोना सैंपल की जांच में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि यह जांच मुख्यतः रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट किट के माध्यम से की जा रही है। वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक रैपिड एंटीजन टेस्ट 60 से 83 प्रतिशत तक संवेदनशीलता होती है। जिसका अर्थ है कि इसमें 40 प्रतिशत तक कोविड-19 के मामलों का पता नहीं चल पाता है। इसको देखते हुए केंद्र ने अब बिहार को आरटी पीसीआर टेस्ट की संख्या और अधिक क्षमता बनाने का निर्देश दिया है।

वर्तमान में प्रदेश में कोरोनोवायरस संक्रमण के परीक्षण के लिए जांच में सर्वोत्तम माने जाने वाले पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी पीसीआर) के माध्यम से कोरोना सैंपल की जांच अधिकत क्षमता के अनुसार नहीं हो पा रही है। अभी तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लैब के माध्यम से रोजाना 10,700 सैंपल की जांच किए जाने के बजाय राज्य में मात्र 7,000 सैंपल का ही परीक्षण हो रहा है। यह पिछले चार दिनों में एक दिन में किए जा रहे कुल सैंपल जांच से 10% कम है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक सरकारी विशेषज्ञ ने बताया कि रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट किट कम संवेदनशील होते हैं, लेकिन इसमें गलत पाजिटिव रिपोर्ट देने की संभावना कम है वहीं आरटी पीसीआर परीक्षण अत्यधिक संवेदनशील और इसके रिजल्ट भी सही होते हैं। केंद्र सरकार ने अल्पकालिक आधार पर अधिक ट्रूनॉट और सीबी-एनएएटी (कार्ट्रिज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट) मशीनों को फिर से तैयार करने का सुझाव दिया है। हालांकि सूबे में तपेदिक (टीबी) का पता लगाने वाले केंद्रों में कुछ का उपयोग कर रहा था। वहीं स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन मशीनों का इस्तेमाल आमतौर पर टीबी केस में जीनएक्सपर्ट परीक्षण के लिए किया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि बिहार बिना किसी अतिरिक्त निवेश के कोविड -19 परीक्षणों के लिए ट्रूनाट और सीबी-एनएएटी मशीनों के जरिए अपनी आरटी पीसीआर क्षमता को प्रति दिन 10,000 से 13,000 परीक्षणों तक बढ़ा सकता है। हालांकि 13,000-परीक्षण क्षमता से परे जाने के लिए प्रयोगशालाओं को अतिरिक्त शिफ्ट में काम करना होगा। इसके अलावा उन्होंने और भी ऐसे उपकरण खरीदने का सुझाव दिया जिसका उपयोग कोविड -19 के लिए स्वैब नमूनों के परीक्षण के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा प्रदेश को अधिक शिफ्टों में कोरोना लैब के संचालन हो सके, इसकी संभावना का पता लगाने के लिए कहा गया है।  जिसमें अतिरिक्त मैनपावर और स्टाफ को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होगी। 
दरअसल लैब में सैंपल के देर से मिलने, सही तरीके से सैंपल की पैकेजिंग और ठीक से लेबलिंग नहीं होने की वजह से प्रदेश अपनी अधिकतम क्षमता से सैंपलों की जांच करने में असमर्थ है। अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर सैंपल 6 बजे शाम और 12 बजे आधी रात के बीच कोरोना लैब तक पहुंचते थे। चूंकि लैब 24 घंटे काम नहीं करता है, इसलिए नमूनों को रात भर रखा जाता है और अगले दिन सुबह 10 बजे के आसपास जांच के लिए ले जाया जाता था। इससे सैंपलों का एक बैकलॉग बन रहा था। हालांकि राज्य ने अब कोरोना लैब को शाम 6 बजे के बाद सैंपल को स्वीकार नहीं करने का निर्देश दिया है।
उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पहले ही अपने अधिकारियों से आरटी पीसीआर परीक्षण बढ़ाने के लिए कह चुके हैं। वह ये भी चाहते हैं कि कोरोना का रिजल्ट सैंपल लेने के  24 घंटे के भीतर रोगियों को उपलब्ध कराया जाए। राज्य द्वारा परीक्षण किए जाने से पहले परिणाम प्राप्त करने में एक सप्ताह तक की देरी होने की शिकायतें मिलती थीं। वहीं आईसीएमआर ने भी अब बिहार में आरटी पीसीआर परीक्षण के लिए सरकारी क्षेत्र में सात और निजी क्षेत्र के तीन समेत कुल 10 कोरोना टेस्टिंग लैब को मंजूरी दी है। पटना में आईसीएमआर की राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज प्रति दिन लगभग 2,000 परीक्षण कर रहा है।
बिहार में सोमवार को 75,346 सैंपल की जांच हुई। इसने रविवार को सिंगल-डे उच्चतम परीक्षण आंकड़ा (75,628) दर्ज किया। वहीं राज्य में 10 अगस्त तक प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर 9,180 कोरोना परीक्षण किया गया यह भारत में सबसे कम और राष्ट्रीय औसत से भी कम था। इस संबंध में बिहार के प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य, प्रत्यय अमृत, टिप्पणियों के लिए उपलब्ध नहीं थे।  

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