श्रद्धापूर्वक मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार

अरवल : जिले में मंगलवार को श्रद्धा पूर्वक एवं सादगी के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाया गया। अधिकांश लोग शारीरिक दूरी के पालन करते हुए घरों में ही पूजा पाठ की। छोटे-छोटे बच्चों को कृष्ण कन्हैया मना कर सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा की। लॉकडाउन के कारण कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव फीका रहा। कई जगहों पर मंगलवार को ही कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग बुधवार को भी जन्माष्टमी मनाने की बात कही।कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन होने कारण श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व मे श्रद्धालुओं में उत्साह नहीं दिखा। पहले की अपेक्षा लॉकडाउन के कारण इस बार श्रद्धालुओं में उत्साह नहीं देखी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोग अपनी मोहल्ले, गांव के श्रीकृष्ण मंदिर में पूजा अर्चना की। मंदिर खुलने की अनुमति न होने के कारण शहरी क्षेत्रों में श्रद्धालुओं ने अपने घरों में परम्परानुसार झूला लगाकर पूजा अर्चना की। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर पंडितों में दो राय सामने आई। यूं तो कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार तिथियों की घट-बढ़ के कारण मतभेद है। कोई मंगलवार को बता रहा है तो कोई बुधवार। हालांकि अधिकांश पंचांग में इसके लिए बुधवार की तारीख तय की गई है। श्री श्री रामासन जी महाराज के अनुसार मंगलवार को ही कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त है।पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अति शुभ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए।कारागार के दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए तब वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि वे कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लेंगे।उन्होंने वासुदेव जी से कहा कि वे उन्हें तुंरत गोकुल में नंद बाबा के यहां पहुंचा दें और उनके यहां अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें। वासुदेव ने ऐसा ही किया और कृष्ण को सौंपकर कन्या कंस को दे दी।कन्या को मारने के लिए जैसे ही कंस ने हाथ को ऊपर उठाया तभी कन्या आकाश में गायब हो गई और भविष्यवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वो तो गोकुल में पहुंच चुका है। यह सुनते ही कंस क्रोध में आ गया। इसके बाद नंदगांव में कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए एक के बाद एक राक्षस भेजे। श्रीकृष्ण ने इन सभी का वध कर दिया।अंत में श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया।

बालाजी वेंकटेश्वर धाम में आज जन्मोत्सव यह भी पढ़ें
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार