असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति: दो डिग्री की अनिवार्यता की आवाज उठनी शुरू

असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति: दो डिग्री की अनिवार्यता की आवाज उठनी शुरू

राजभवन की मुहर के बाद अतिथि शिक्षक हो रहे एकजुट
उत्तराखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर बहाली की दे रहे बानगी
छपरा। हिंदुस्तान प्रतिनिधि
विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की बनाई गई नियमावली में सुधार के लिए आवाज उठनी शुरू हो गयी है। मेधावी व पीएचडी उत्तीर्ण युवा अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए विभिन्न कॉलेज व विभागों में पदस्थापित अतिथि शिक्षकों को एकजुट करने में लगे है। अतिथि शिक्षक डॉ राजेश कुमार सिंह, डॉ जीतेन्द्र कुमार सिंह, डॉ नीतू कुमारी, डॉ सुनील कुमार सिंह, डॉ हरिमोहन पिंटू, डॉ धर्मेंद्र सिंह व अन्य ने बताया कि बहाली की परिनियमों में थोड़ा सी सुधार अगर कर दिया जाए तो बिहार के उच्च योग्यताधारी युवाओं को असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी की सम्भावना बन जाएगी। दूसरे राज्यों के युवा भीड़ भी नही लगा पाएंगे। उम्मीदवार को कम से कम कोई दो उपाधि बिहार के संस्थान या यूनिवर्सिटी से होनी चाहिए। इसी तरह का प्रावधान उत्तराखंड में भी असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी में की गई थी। इस कारण अन्य राज्यों के उम्मीदवार को मौका नहीं मिल पाया था। बिहार के छात्र उत्तराखंड की वैकेंसी से वंचित हो गए थे। अब बिहार में वैसा अगर हो तो अन्य राज्य के उम्मीदवार हम लोगों को अलग नहीं कर सकते है। ऐसा करना नितांत आवश्यक है।

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