.. लहू से मेरी पेशानी पर हिन्दुस्तान लिख देना

- शायर राहत इंदौरी के निधन पर शोक सभा

जासं, समस्तीपुर : जनवादी लेखक संघ जिला इकाई ने उर्दू के मकबूल शायर डॉ. राहत इंदौरी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। संगठन ने उनकी मौत को हिन्दी उर्दू की गंगा-जमुनी तहजीब के लिए एक भारी नुकसान करा दिया है। लगभग पांच दशकों तक अपनी गजलों, अपनी शायरी, अपने गीतों और नज्मों के माध्यम से उन्होंने दुनिया भर के लाखों साहित्य प्रेमियों के बीच अपनी पहचान बनाई। इंसानियत और वतन परस्ती से लबरेज उनकी शायरी ने अदबी दुनिया में उन्हें एक अलग और खास जगह दिलाई। वतन की मिट्टी से उन्हें बेइंतहा मोहब्बत थी जिसे उन्होंने एक शेर के जरिए व्यक्त किया ''मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पर हिन्दुस्तान लिख देना''। अपने निराले अंदाजे- बयां के माध्यम से उन्होंने लाखों दिलों में अपनी जगह बनाई। शायरी के साथ-साथ अध्यापन और चित्रकारी से भी वे जुड़े रहे तथा कई फिल्मों के लिए गीत भी लिखे। उनकी रचनाएं सदियों तक अदबी दुनिया को रौशन करती रहेंगी। जनवादी लेखक संघ की समस्तीपुर जिला इकाई की ओर से अध्यक्ष शाह जफर इमाम, संरक्षक डॉ. शंकर प्रसाद यादव, सचिव डॉ. रामदेव महतो, उपाध्यक्ष डॉ. विनीता कुमारी, डॉ. अरुण अभिषेक एवं कासिम सबा, संयुक्त सचिव डॉ. शशि भूषण कुमार शशि, शंभू शरण यादव एवं अरविन्द कुमार दास तथा कार्यसमिति सदस्य शरफे आलम एवं डॉ. उमा कुमारी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके परिवार के सदस्यों, उनके रिश्तेदारों एवं शुभचितकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की है।
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Posted By: Jagran
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