सेना की नर्सरी :सूर्य निकलते ही सुनाई देने लगती है युवाओं के पैरों की थाप

सेना की नर्सरी :सूर्य निकलते ही सुनाई देने लगती है युवाओं के पैरों की थाप

छपरा । हिंदुस्तान प्रतिनिधि
जिले के बनियापुर प्रखंड का एक छोटा सा गांव कोल्हुआं युवाओं में सभ्यता-संस्कृति के साथ देशभक्ति की तालीम के लिए भी जाना जाने लगा है। यहां राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से युवा आते हैं जिन्हें देशभक्ति और समर्पण की शिक्षा थलसेना के रिटायर्ड एनसीओ उमेश कुमार सिंह द्वारा दी जाती है। आज इस गांव को सेना का नर्सरी कहा जाने लगा है। जहां एनसीओ के निर्देशन में अभ्यास करने वाले दर्जनों युवक प्रतिवर्ष देश की सीमा क्षेत्र लद्दाख तथा चीन में तैनात हैं। कॅरियर को लेकर दिगभ्रमित युवा पीढ़ी को नई दिशा दिखाने और देशप्रेम की जज्बा को निखारने के लिए रिटायर्ड एनसीओ लगातर लगे हैं। रिटायर होने के बाद 1998 से उमेश इस कार्य में लगे हैं। वे अनुशासन तथा देश सेवा को सर्वोपरि मानते हैं। उनके द्वारा युवाओं को पहले शारीरिक तथा मानसिक रूप से तैयार किया जाता है, फिर सेना के लिए ट्रेंड किया जाता है। यहां के सैकड़ों छात्र विभिन्न सैन्य संगठनों में सेवा के लिए चयनित हो चुके हैं।
सूर्योदय के साथ ही युवा अभ्यास के लिए हो जाते हैं तैयार
छोटे से गांव के खेल मैदान में सूर्य की किरणें निकलने के पहले ही दर्जनों युवा अभ्यास में जुट जाते हैं। लाल कुर्ता में सड़कों पर कतारबद्ध युवाओं की फौज को देख खेल का मैदान किसी सैनिक कैम्प से कम नही लगता। सेना की तर्ज पर रिटायर अधिकारी द्वारा दौड़, बिम, डिप्स का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रात: काल दौड़ लगा रहे युवाओं की लंबी फौज आज गांव की आन बन गई है। प्रशिक्षण के लिए दूर दराज के छात्र कोल्हुआं में ही रहते हैं। रूपये इकट्ठा कर आवासित छात्र रहने, खाने तथा किताबें खरीदने की व्यवस्था करते हैं। कई गरीब छात्रों की किताबों की व्यवस्था उमेश द्वारा की जाती है।
उमेश जीत चुके है पांच पदक
थलसेना में उमेश का चयन वर्ष 1979 में दानापुर में हुआ था। चयन के बाद प्रशिक्षण के लिए इन्हें हैदराबाद में भेजा गया था। प्रशिक्षण के बाद जम्मू-कश्मीर, असम, हरियाना, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों में सेवा दी। इस दौरान इन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए पांच पदक भी मिले है। रिटायर होने के बाद सेना में सेवा के प्रति युवाओं की उदासीनता को देख उमेश ने सेना की प्रशिक्षण देने के लिए एक संस्थान चलाना शुरू कर दिया।

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