कोरोना वायरस महामारी के चलते खुराक पर निर्भर होगी कीमत

कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) का मुकाबला करने के लिए दुनिया के भिन्न-भिन्न राष्ट्रों में कोरोना की अच्छा वैक्सीन ( कोरोना वैक्सीन )

बनाने का अभियान इन दिनों अपने चरम पर है. हाल ही रूस ने अपनी पहली वैक्सीन का मानव ट्रायल भी कर लिया व करीब 20 राष्ट्रों को इसकी पहली खेप भेजने की तैयारी में है. वहीं ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University), चाइना की एक निजी फार्मा कंपनी व अमरीका की मॉडर्ना कंपनी (Moderna Farma) भी वैक्सीन बनाने के बहुत करीब पहुंच चुकी है. हिंदुस्तान भी इस बीच सधे कदमों से वैक्सीन बनाने की ओर अग्रसर है. ऐसे में अगर आने वाले कुछ महीनों में कोई अच्छा वैक्सीन मार्केट में आ गई तो सबसे पहला सवाल जो दिमाग में आएगा वो यही होगा कि यह महंगी होगी या सस्ती? क्या यह सरलता से आम आदमी को उपलब्ध हो पाएगी? औसत आदमी को कोरोना वैक्सीन की एक डोज कितने की पड़ेगी? परेशान मत होइए हम बताते हें आपको कि कोरोना वैक्सीन लगवाने पर आपको अपनी जेब से कितना खर्च करना पड़ेगा.
अमरीका में क्या स्थिति है? कोरोना की सबसे पहले पास वैक्सीन की आरंभ करने वाली अमरीकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना वैक्सीन बनाने की रेस में सबसे आगे है. मॉडर्ना पर रूस की वैक्सीन कीतुलना में दुनिया ज्यादा भरोसा कर रही है. बात करें अमरीकियों की तो लाखों अमरीकियों को यह वैक्सीन बिना किसी अलावा लागत के मिलेगी. हालांकि कुछ जानकार इस बात से चिंतित हैं कि क्या आम अमरीकी करदाताओं को भी मूल्य चुकानी होगी, क्योंकि उन्होंने अमरीकी सरकार को वैक्सीन के प्री-क्लिनिकल व क्लिनिकल परीक्षणों को आर्थिक सहायता देने के लिए लाखों डॉलर कर के रूप में दिए हैं? वहीं मॉडर्ना के अतिरिक्त अन्य फार्मास्युटिकल कंपनियां, जो ट्रम्प प्रशासन के वैक्सीन मिशन 'ऑपरेशन वार्प स्पाीड' का भाग हैं, वे प्रति डोज 4 डॉलर से 20 डॉलर तक वैक्सीन का शुल्क वसूल सकती हैं. वर्तमान में कुल 5 वैक्सीन ट्रायल अपने अंतिमचरण में पहुंचे हैं जो इससाल के अंत तक या अगले वर्ष के शुरुआती महीनों में वैक्सीन बना लेंगे. इस समाचार के बाद से ही वैक्सीन की संभावित मूल्य का अंदाजा लगाना प्रारम्भ हो गया. एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अग्रणी वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने एक सुरक्षित व प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन को 32 से $37 डॉलर प्रति डोज बेचने का करार किया है. चूंकि ये कीमतें वैसे छोटे ऑर्डर के लिए हैं अमरीकार में इनकी लागत कम हो सकती है.
आसान नहीं मूल्य तय करना न्यूयॉर्क में एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में बायोएथिक्स के प्रोफेसर आर्थर एल। कैपलान का बोलना है कि किसी भी संभावित पास कोरोना वैक्सीन की मूल्य तयकर पाना सरल नहीं होगा. खासकर तब जब यह अरबों डॉलर का परिणाम हो व लोगों की जान बचा सकती हो. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि मूल्य इतनी महंगी नहीं होंगी कि इसे आम आदमी खरीद ही न पाए क्योंकि सीमित पहुंच के चलते वैक्सीन का खर्च तक निकालना कठिन हो जाएगा. उनका बोलना है कि अगर इसे मानव कल्याण के लिए उपलब्ण कराया जाएगा तब तो यह सस्ती होगी लेकिन अगर कंपनियों ने डिमांड को देखते हुए मुनाफा कमाने की सोची तो आम आदमी के लिए वैक्सीन का सपना बहुत महंगा होने कि सम्भावना है.
खुराक पर निर्भर होगी कीमत दरअसल, एक वैक्सीन की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि उसकी कितने खुराक की जरूरत होगी. दोनों अमरीकी कंपनियां फाइजर व मॉडर्ना दो खुराक वाली डोज का परीक्षण कर रही हैं. चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन पर नजर रखने वाली वेबसाइट 'गुड आरएक्स' (GoodRX) की मानें तो इस वैक्सीन की तुलना मौसमी फ्लू वैक्सीन से कर सकते हैं जिसकी सामान्य मूल्य 67 डॉलर प्रति डोज़ (अमरीका में) तक होती है. हालांकि, फार्मास्युटिकल कंपनियां वैक्सीन बनाने के दौरान आईकुल लागत वसूलने की योजना बना रही हैं. लेकिन स्वास्थ्य बीमा वाले लाखों अमरीकियों को यह बिना किसी अलावा लागत के मिलेगी. दरअसल मार्चमें अमरीकी संसद ने दोनों दलों की सर्व सम्मति से एक अधिनियम पारित किया था जिसके तहत एड्स व ऐसी ही दूसरी जानलेवा महामारियों के समकक्ष ही कोरोना वायरस भी चिकित्सा राहत व आर्थिक सुरक्षा अधिनियम के तहत ट्रीट किया जाएगा.
भारत में यह होगी कीमत लंदन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी व सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की ओर से विकसित किए जा रहे कोरोना टीके पर बड़ी बात सामने आई है. दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बोला है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन (corona virus vaccine) की एक खुराक की मूल्य तीन डॉलर (लगभग 225 रुपये) होगी. कंपनी हिंदुस्तान व कम और मध्यम आय वाले राष्ट्रों के लिए 10 करोड़ कोरोना वैक्सीन तैयार करेगी. इसके लिए कंपनी ने गवी वैक्सीन संगठन व बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ करार किया है, जिसके तहत उसे 15 करोड़ डॉलर (लगभग 1,125 करोड़ रुपये) की सहायता मिलेगी. एसआइआइ ने 2021 में हिंदुस्तान व निम्न और मध्यम आय वाले राष्ट्रों के लिए कोरोना के भावी वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक के निर्माण और वितरण के लिए गवी और गेट्स फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है. एस्ट्राजेनेका व नोवावैक्स समेत कोरोना वैक्सीन की एक खुराक की मूल्य तीन डॉलर होगी. कंपनी गवी के कोवैक्स एडवांस बाजार कमिटमेंट के तहत दुनिया के 92 राष्ट्रों को वैक्सीन उपलब्ध कराएगी. गवी कोवैक्स फैसिलिटी का नेतृत्व करती है, जिसका गठन पूरी दुनिया में कोरोना की वैक्सीन को सबसे जल्दी व निष्पक्ष ढंग से पहुंचाने के लिए किया गया है.

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