एयरोनैब में नैनोबॉडी होते, आइए जानिए इसके बारे में

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि एक नेसल स्प्रे इंसानों को कोरोनावायरस से बचा सकता है व यह मास्क-दस्ताने व पीपीई (निजी सुरक्षा उपकरण) पहनने से भी ज्यादा अच्छा

साबित होने कि सम्भावना है. सैन फ्रांसिस्को की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने एक एयरोनैब बनाया है जिसे सूंघा जा सकता है. वे आशा करते हैं कि यह एक अल्पकालिक उपकरण के रूप में कार्य करेगा, जिससे हजारों लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सके.
लामों-ऊंटों का प्रतिरक्षा प्रोटीन मौजूद- एयरोनैब में नैनोबॉडी होते हैं, जो कि लामों, ऊंटों व अल्फ़ाकों के रक्त में पाए जाने वाले प्रतिरक्षा प्रोटीन होते हैं. यह नैनोबायोटिक्स सिंथेटिक हैं व महामारी का कारण बन रहे वायरस को लक्षित करने के लिए खास तौर पर बनाए गए हैं.
लैब परीक्षणों ने छोटे प्रोटीनों को दिखाया है । यह मनुष्यों में पाए जाने वाले एंटीबॉडी के आकार का एक चौथाई है. यह प्रोटीन कोरोनोवायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सकता है. लेकिन, एयरोनैब स्प्रे को अभी भी नैदानिक परीक्षणों में साबित करने की जरूरत है.
शोधकर्ता चिकित्सक पीटर वाल्टर ने कहा, व्यक्तिगत सुरक्षात्मक उपकरणों के पहनने योग्य रूपों की तुलना में यह नेसल स्प्रे कहीं अधिक प्रभावी है. हम एयरोनैब को पीपीई का आणविक रूप मानते हैं जो एक जरूरी स्टॉपगैप के रूप में कार्य कर सकता है. कोविड-19 के टीके का विकास होने तक यह नेसल स्प्रे लोगों को संक्रमित होने से बचा सकता है. उन लोगों के लिए जो सार्स कोव-2 टीकों का उपयोग नहीं कर सकते हैं या उनके प्रति रिएक्शन नहीं देते उनके लिए एयरोनैब कोविड-19 के विरूद्ध रक्षा का स्थाई तरीका होने कि सम्भावना है.
सार्स में भी उपयोगी साबित हुए थे नैनोबॉडी- दुनियाभर के शोधकर्ताओं ने अपना ध्यान नैनोबॉडी की ओर लगाया है. उन्हें उम्मीद है कि वे कोरोनावायरस को बेअसर करने के लिए तैयार हो सकते हैं. नैनोबॉडी पूर्व में भी इसी तरह के कोरोनावायरस के विरूद्ध कार्य करने के लिए साबित हुआ है. इसमें सार्स जैसी रोग भी शामिल है. यह एक मानव एंटीबॉडी की तरह है जो शरीर द्वारा रोगाणु के सम्पर्क में आने पर बनाया जाता है.

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