'प्रणब मुखर्जी प्रोफेसर की तरह बहस में भाग लेते हैं', जब सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार देकर बोले थे अटल बिहारी

पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है. इस मौके पर उनकी कई बातों, किस्सों और यादों को साझा किया जा रहा है. पक्ष और विपक्ष के लोकप्रिय नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी का एक किस्सा हम आपको बता रहे हैं जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ जुड़ा है.

इससे पहले आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस वक्त दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती हैं. वह वेंटिलेटर पर हैं. आज उनकी हालत में सुधार देखने को मिला है.
कुछ यूं है ये किस्सा
बात 17 दिसंबर 1999 की है जब सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार के लिए पार्लियामेंट में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में संसद के सदस्य प्रणब मुखर्जी और जयपाल रेड्डी को सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया जाना था.
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जब सदन को संबोधित किया तो उस दौरान उन्होंने कहा, "ये दोनों निश्चित तौर पर इस सम्मान के हकदार हैं. पार्टी दायरे से निकलकर संसद के दोनों सदनों में प्रतिभा की पहचान और उसका सम्मान करना हमारी संसदीय प्रणाली की परिपक्वता को दर्शाता है और इससे लोकतंत्र के प्रति हमारे संकल्प का भी पता चलता है. खासकर ऐसे समय में जब कई देशों में लोकतांत्रिक ढांचा और संसदीय प्रणाली खतरे में है इसका महत्व और भी बढ़ जाता है."
'हमारी संसद की परंपराएं शानदार रही हैं'
उन्होंने कहा, "मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि हमारी तरह विशाल और विविधता से भरे देश में सरकार चलाना वास्तव में संसदीय गणित का सवाल है. कारगर प्रशासन तभी संभव है, जब संसदीय लोकतंत्र की सफलता के लिए सरकार और विपक्ष मिलकर प्रयास करें. हमारी संसद की परंपराएं शानदार रही हैं, हालांकि कभी-कभी तेज बहस भी होती है.
लेकिन यही बहस सरकार को अपनी नीतियों को सुधारने और बेहतर बनाने में मदद भी करती है. बहस भले ही कितनी भी तीखी क्यों ना हो, सरकार और विपक्ष के विचारों में कितनी भी असमानता क्यों ना हो, सदन की प्रतिष्ठा और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए अन्यथा संसद अपनी जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर सकती."
'मुखर्जी एक प्रोफेसर की तरह बहस में भाग लेते हैं'
इस भाषण का उल्लेख भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से छपी पुस्तक (अटल बिहारी वाजपेयी के चुने हुए भाषण) में मिलता है. उन्होंने अपने भाषण में कहा था, "श्री मुखर्जी और श्री रेड्डी दो ऐसे सांसद हैं जो सत्ता पक्ष में भी रहे और विपक्ष में भी. वे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में, बहस में हिस्सा इन्होंने अपनी ही शैली में लिया. श्री मुखर्जी एक प्रोफेसर की तरह बहस में भाग लेते हैं, तो श्री रेड्डी के भाषण में हंसी मजाक का पुट भी रहता है."
'जब समय आता है तो घातक तीर भी छोड़ते हैं'
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा, "दोनों ही सदन में पूरी तैयारी से आते हैं. जब समय आता है तो दोनों ही घातक तीर भी छोड़ते हैं लेकिन शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि इन दोनों ने किसी बहस में भाग लेकर उसका स्तर ना बढ़ाया हो. इनके मजबूत तर्कों से सदस्यों को संबद्ध विषय को समझने में मदद मिलती है. सरकार को भी इनके योगदान से लाभ मिलता है."
'मैं प्रणब मुखर्जी को कई वर्षों से जानता हूं'
उन्होंने कहा, "मैं श्री मुखर्जी को कई वर्षों से जानता हूं. सरकार में लंबे समय तक रहने से मिले अनुभव का इन्हें लाभ मिलता है. मैं कहना चाहूंगा कि अब विपक्ष में रहते हुए भी वे इस अनुभव का अच्छा उपयोग कर रहे हैं. लगभग तीन दशक के संसदीय अनुभव के बाद उनकी उपस्थिति से राज्यसभा और समृद्ध होती है. 1997 के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार ग्रहण करने के लिए भी सर्वथा योग्य हैं."
उन्होंने अपने भाषण में आगे कहा, "श्री जयपाल रेड्डी हमारे कनिष्ठ साथियों में से एक हैं. उनके संसदीय जीवन की शुरुआत 1984 में हुई. मात्र 15 वर्ष के अपेक्षाकृत कम अनुभव के बावजूद 1998 के इस पुरस्कार के लिए चुना जाना उनकी संसदीय योग्यता को ही प्रदर्शित करता है."

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