पं जसराज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाया

पं जसराज ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाया

निधन पर गायकों व कलाप्रेमियों ने जताई संवेदना
छपरा। हमारे प्रतिनिधि
भारतीय शास्त्रीय संगीत के नक्षत्र पंडित जसराज के निधन पर शहर के कलाप्रेमियों ने शोक जताया है। सत्यम कला मंच की ओर से राजेन्द्र सरोवर परिसर में सादगीपूर्ण सभा कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। वक्ताओं ने कहा कि पं जसराज भारतीय शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने में अहम योगदान के लिए हमेशा याद किये जायेंगे। मंच के निदेशक प्रदीप सौरभ ने कहा कि पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज ने संगीत की दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। जसराज जी ने ख़याल गायन में कुछ लचीलेपन के साथ ठुमरी, हल्की शैलियों के तत्वों को जोड़ा है। गायिका नीतू जायसवाल ने कहा कि महान संगीतकार और अद्वितीय शास्त्रीय संगीतकार पंडित जसराज के निधन से मेरे साथ ही ज़िले के कलाप्रेमियों ने भी दु:ख ब्यक्त किया है। पद्म विभूषण पंडित जसराज ने अपने आठ दशक के कॅरियर में अपने गीतों से देशवासियों को मंत्रमुग्ध किया है। कलाप्रेमी मणि शंकर ओझा ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय शास्त्रीय विधा में एक बड़ी रिक्ति पैदा हो गयी है। न केवल उनका संगीत अप्रतिम था बल्कि उन्होंने कई अन्य शास्त्रीय गायकों के लिए भी अनोखे मार्गदर्शक के रूप में एक अमिट छाप छोड़ी है। गायक गौतम प्रसाद ने कहा कि प्रख्यात संगीतविद् और गायक पंडित जसराज जी का निधन भारतीय शास्त्रीय संगीत व भारतीय समाज के लिए एक बड़ी क्षति है। जसराज ने जुगलबंदी का एक उपन्यास रूप तैयार किया, जिसे जसरंगी कहा जाता है, जिसे 'मूर्छना' की प्राचीन प्रणाली की शैली में किया गया है उन्हें कई प्रकार के दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करने के लिए भी जाना जाता है जिनमें अबिरी टोडी और पाटदीपाकी शामिल हैं। चंदन सिंह, ब्रजेश कुमार, राज उत्कर्ष व अंकित सहित कई अन्य स्थानीय कलाकारों ने भी संवेदना जताई।

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