नई पेंशन योजना के क्रियान्वयन पर पुनर्विचार की कुलाधिपति से मांग

दरभंगा। पटना राज्यपाल सचिवालय के अधिसूचना सात जुलाई 2020 को बिहार के विश्वविद्यालयों में वर्ष 2005 या इसके उपरांत नियुक्त शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मियों को नई अंशदायी पेंशन योजना के तहत रखे जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध बिहार राज्य विश्वविद्यालय व महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ, लनामिवि प्रक्षेत्र के प्रक्षेत्रीय मंत्री विनय कुमार झा ने बिहार के राज्यपाल-सह-कुलाधिपति से किया है। ई-मेल व निबंधित डाक से भेजे गए अभ्यावेदन में उन्होंने इस निर्णय को बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 (अद्यतन संशोधित) की धारा 36(7) के प्रतिकूल बताते कहा है कि यह निर्णय माननीय उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय की ओर से निर्धारित न्याय निर्णय के भी विरुद्ध है। अपने अभ्यावेदन में उन्होंने महामहिम राज्यपाल-सह-कुलाधिपति को ध्यान दिलाया है कि नई अंशदायी पेंशन योजना, भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए वर्ष 2004 से लागू किया व राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए उक्त निर्णय वर्ष 2005 यानी अधिसूचना निर्गत होने की तिथि से क्रियान्वित किया है। बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में यह योजना बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 (अद्यतन संशोधित) की धारा 36(7) के अनुसार महामहिम राज्यपाल महोदय की ओर से अनुमोदन की तिथि यानी सात जुलाई 2020 से प्रभावी होना चाहिए, जबकि इसे दिनांक वर्ष 2005 के भूतलक्षी प्रभाव से लागू किया गया है, जो निहित नियम के सर्वथा विरुद्ध है। उन्होंने इस संबंध में पटना विश्वविद्यालय के मामलों का हवाला देते कहा है कि माननीय न्यायालय ने समादेश याचिका वर्ष 2016 में आदेशित किया है, जब तक अधिसूचना दिनांक वर्ष 2012 के आलोक में अंशदायी पेंशन योजना 2005 संबंधित संशोधन कर परिनियम नहीं बनता है, उक्त योजना स्वत: विश्वविद्यालय कर्मियों पर लागू नहीं हो सकता। इसके विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय के डिवीजन बैंच में एलपीए दायर किया गया, जो वर्ष 2018 को खारिज हो गया। उन्होंने शिक्षाकर्मियों के व्यापक हित की रक्षा के लिए महामहिम से बिहार के विश्वविद्यालयों में नई अंशदायी पेंशन योजना लागू करने पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते कहा है कि कोई भी नियम या परिनियम, बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम (अद्यतन संशोधित) की धारा 36(7) के अनुरूप ही बन सकता है, जो इसके अनुमोदन व अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभावी होगा और माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी अपने कई न्याय निर्णय में यह आदेशित किया है कि कोई भी पत्र या अधिसूचना इसके अनुमोदन व निर्गमन की तिथि से प्रभावी होगा न कि कभी से।

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Posted By: Jagran
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