आशियाना की आस में कटाव पीड़ित परिवार

आरा। गंगा की बदली धारा में भोजपुर जनपद के एक दर्जन से ज्यादा गांवों की हजारों आबादी एक बार नहीं बल्कि कई बार कटाव से विस्थापित हुई। गंगा के गर्भ में एक-एक कर उक्त गांव विलीन होते गए और कई गांव कटाव के मुहाने पर खड़े हैं। इस जनपद के ये सभी गांव बड़हरा एवं सदर प्रखंड के हैं। कटाव में विस्थापित हजारों परिवारों में संपन्न परिवार तो अपना घर बार बसा लिया, परंतु गरीब तबके के लोगों का उजड़ा आशियाना आज तक नहीं बस सका। ऐसे परिवार जहां-तहां शरण लेकर अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करने को विवश हैं। दर्जनों परिवार तो बक्सर-कोईलवर तटबंध पर हीं अपने को अस्थायी तौर पर स्थापित कर जीवन की गाड़ी को किसी तरह खींच रहे हैं। वर्ष 1970 के दशक में उत्तर प्रदेश के बलिया के समीप से होकर बहने वाली गंगा की धारा अचानक बदल गई और धीरे-धीरे कटाव करते भोजपुर के सीमा में प्रवेश कर बहने लगी। लगभग 46 वर्षो के अंतराल में गंगा नदी बलिया से हटकर लगभग 10 किलोमीटर दक्षिण आज बिहार के भोजपुर में बह रही है। गंगा की बदली धारा में उजड़े गांवों के हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि भी रेत व पनचट बन गई। यही नहीं उत्तर प्रदेश के बलिया एवं बिहार के भोजपुर जिले के सीमा विवाद में भी शेष बची उपजाऊ भूमि उलझ गई। यह सीमा विवाद भी उसी दौर से आज तक यथावत स्थिति में बना हुआ है। सीमा विवाद को खत्म करने के लिए सरकार की पहल पर गठित त्रिवेदी आयोग द्वारा किया गया सीमांकन भी लोगों को स्थायी राहत नहीं दे सका। गंगा के कटाव में जो गांव विस्थापित हुए वे एक बार नहीं बल्कि तीन से चार बार तक विस्थापित होने का दंश झेला। ऐसी स्थिति में उनकी पीड़ा को सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उजड़े परिवारों का घर-बार कैसे बसा होगा। आज भी विस्थापित गरीब और बेसहारा परिवारों को बसाने में शासन प्रशासन की पहल व भूमिका उनको राहत देने में विफल साबित हुई है। उजड़े परिवारों को आज भी किसी मसीहा का इंतजार है।


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कटाव से विस्थापित गांव : बड़हरा एवं आरा सदर प्रखंड के गंगा के कटाव से विस्थापित गांवों में नेकनाम टोला, त्रिभुवानी, सोहरा, एकौना, केवटिया, चंदा, पीपरपांती, उजियारपुर, ज्ञानपुर, सेमरिया, तुलसी छपरा, फरहदा, नथमलपुर एवं पड़रिया आदि गांव शामिल है।
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कटाव से विस्थापित दर्जनों परिवार तटबंध पर : गंगा के कटाव के बाद आर्थिक रूप से संपन्न परिवार तो जहां-तहां अपना घर-बार बसा लिए परंतु गरीब एवं बेसहारा परिवार इधर-उधर अपनी जिंदगी काटने को मजबूर हैं। दर्जनों परिवार बक्सर-कोईलवर तटबंध पर अपने परिवार के साथ बड़हरा एवं कोईलवर प्रखंड क्षेत्र में शरण लेकर गुजर-बसर कर रहे हैं।
Posted By: Jagran
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