पं रामावतार की धरती बनेगी संस्कृत भाषा की ध्वजवाहक

पं रामावतार की धरती बनेगी संस्कृत भाषा की ध्वजवाहक

बिहार में संस्कृत की दशा और दिशा पर चिंतन करेंगे आचार्य
छपरा। हमारे प्रतिनिधि
संस्कृत के मूद्र्धन्य विद्वान, भारतविद् व इतिहासकार पंडित रामावतार शर्मा की जन्मस्थली छपरा (सारण) एक बार फिर संस्कृत का ध्वजवाहक बनेगी। सूबे में संस्कृत की दयनीय दशा पर चिंतन व समाधान की संभावनाओं की तलाश का जिम्मा युवा प्राध्यापकों ने उठाया है। बिहार राज्य में देववाणी संस्कृतभाषा की दशा और दिशा पर चिन्तन करने को बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित संस्कृत विषय के आचार्य एक मंच पर 23 अगस्त को ऑनलाइन माध्यम से एकत्रित होंगे।
संस्कृत भाषा को मिलेगी जीवंतता
परिचर्चा में बिहार के दस से ज्यादा विश्वविद्यालयों और उनके सभी अंगीभूत महाविद्यालयों के आचार्य गूगल मीट के माध्यम से भारतीय जीवन पद्धति की उत्थापिका संस्कृत भाषा को पुन: जीवन्तता प्रदान करने और देवभाषा के संवर्धन और संरक्षण की चर्चा करेंगे। आयोजक मंडल के अध्यक्ष सह स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग जयप्रकाश विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि संस्कृत जैसी वैज्ञानिक भाषा को जन-जन तक पहुंचाने हेतु अपनी-अपनी योजनाओं को विद्वानों के समक्ष साझा किया जायेगा।
नेट के अनुकूल पाठ्यक्रम बनाने पर होगी चर्चा
आचार्यों के महाकुम्भ में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा के अनुकूल विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम बनाने पर विचार होगा। आचार्यों का मानना है कि नूट के अनुकूल पाठ्यक्रम होगा तो पीजी के बाद छात्रों को इस राष्ट्रस्तर की परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बढ़ेगा। तत्संबंधित पुस्तकों की सरलता से उपलब्धता के साथ संपूर्ण बिहार राज्य में संस्कृत विषय में उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले छात्र को पुरस्कृत करने की भी चर्चा होगी।
पटना समेत अन्य विवि के आचार्य होंगे शामिल
कार्यक्रम के आयोजकमण्डल के सदस्य पटना विश्वविद्यालय से डॉ हरीश दास, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से डॉ संजीत कुमार झा वीरकुंवर सिंह आरा विश्वविद्यालय से डॉ सत्येंद्र पांडेय, मुंगेर विश्वविद्यालय से डॉ कृपा शंकर पाण्डेय, भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से डॉ ललित कुमार मण्डल ने बताया कि शास्त्रीय और शासकीय विषयों की मीमांसा के लिए भाी इस महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। संस्कृत को बिहार राज्य में व्यापक रूप देने के लिए सार्थक प्रयास किया जाएगा। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश होगी ताकि देवभाषा की महिमा आम लोगों के बीच स्थापित की जा सके।

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