नियोजित शिक्षक सेवाशर्त : किसी ने जलाई कॉपी तो किसी ने कहा छलावा, किसी ने सराहा

बेगूसराय : राज्य मंत्रीमंडल द्वारा नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त पर मुहर लगाने के बाद एक बार फिर से जिले की सियासत गरमा गई है। उसके समर्थन और विरोध के स्वर ऊंचे होने लगे हैं। इसी कड़ी में जहां अधिकतर नियोजित शिक्षक संघ ने इस सेवाशर्त को छलावा करार दिया है तो वहीं, नियमित शिक्षक संघ और जदयू नेताओं ने इसे शिक्षकों का हित में करार दिया है।

टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकों ने डीईओ कार्यालय के समक्ष सेवाशर्त की प्रतियां जलाई।
संघ के जिलाध्यक्ष मुकेश मिश्रा ने कहा कि शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त में शिक्षकों की मांगों को दरकिनार किए जाने के खिलाफ जिले के टीइटी एसटीइटी शिक्षकों में व्यापक आक्रोश है। सरकार ने नियोजित शिक्षकों के लिए ऐच्छिक स्थानान्तरण, ग्रेच्युटी, बीमा, अर्जितावकाश समेत राज्यकर्मियों को हासिल सेवा सुविधाओं से पल्ला झाड़ कर बेहद निराश किया है। शिक्षकों ने इस नए सेवाशर्त को बंधुआ बनाये रखने का दस्तावेज करार दिया। मौके पर टीएसयुएनएसएस गोपगुट के जिला उपाध्यक्ष रामकरण चौरसिया, प्रदेश मीडिया प्रभारी राहुल विकास, जौरेज आलम, जिला कार्यालय सचिव धर्मांशु झा, जिला मीडिया प्रभारी रौशन यादव, जिला सचिव सुमित कुमार सिंह, नगर अध्यक्ष विकास कुमार उपस्थित थे। इनसेट
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मुख्यमंत्री ने पूरा किया अपना वादा : राणा
बेगूसराय : लाखों नियोजित शिक्षकों का सपना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साकार कर दिया है। लंबे समय से नियोजित शिक्षकों की आड़ लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करता आ रहा है। मगर सेवाशर्त पर मुहर लगते ही उन सबों को करारा जवाब मिल गया है। यह बातें एक बयान जारी कर युवा जदयू जिलाध्यक्ष गौरव सिंह राणा ने कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। उसमें नियोजित शिक्षक पीछे छूट रहे थे, जिसे आज बराबरी में लाने के प्रतिक्षित सपने को भी पूरा कर दिया गया है। छलावापूर्ण है सेवाशर्त : मनीष रौशन
बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक प्रमंडलीय संयोजक मनीष कुमार रौशन ने बयान जारी कर कहा कि छलावा पूर्ण सेवा शर्त और मनमानी पूर्ण वेतन वृद्धि का फैसला कैबिनेट से पारित कराकर राज्य सरकार ने सूबे के लाखों शिक्षकों एवं पुस्तकालय अध्यक्षों के साथ धोखा किया है। तीन माह में सेवा शर्त बनाने हेतु अगस्त 2015 में कमेटी बनी थी। जिसके लिए शिक्षकों ने सरकार को कई सुझाव दिए थे। परंतु, सरकार ने शिक्षकों की सुझावों को नजरअंदाज कर दिया है। नई सेवाशर्त में ऐच्छिक स्थानांतरण, प्रोन्नति एवं सेवा निरंतरता जैसे महत्वपूर्ण बिदुओं पर प्रक्रियाओं को सुविधाजनक तथा सरल करने के बजाए उसे और जटिल बना दिया गया है। सरकार ने उठाया बेहतर कदम : चंद्रकांत
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राज्य संयोजक चंद्रकांत ने एक बयान जारी कर मंत्रीमंडल द्वारा नियोजित शिक्षकों, पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए जारी नई सेवाशर्त का स्वागत किया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि इससे दूर फंसे शिक्षकों को न सिर्फ अपने घरों के पास आने का मौका मिलेगा, बल्कि 135 दिन की जगह अब 180 दिन का मातृत्व अवकाश भी मिलेगा। चुनाव पूर्व डेमेज कंट्रोल का रणनीतिक प्रयास : प्रो. अरुण
नियोजित शिक्षकों के संबंध में बिहार मंत्रीमंडल का फैसला उनके गुस्से पर पानी डालने और चुनाव पूर्व डेमेज कंट्रोल का एक सरकारी रणनीतिक प्रयास है। उक्त बातें अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के महासचिव प्रो (डॉ) अरुण कुमार एक बयान जारी कर कहीं हैं। उन्होंने कहा, जो भी थोड़ी बहुत राहत की बात इपीएफ, स्थानांतरण, प्रोन्नति अवकाश आदि में की गई है, वह शिक्षकों की एकता और संघर्ष तथा न्यायालय के आदेशों का परिणाम है।
Posted By: Jagran
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