प्लस टू में खोजे नहीं मिल रहे मैचुअल के शिक्षक

प्लस टू में खोजे नहीं मिल रहे मैचुअल के शिक्षक

सोशल मीडिया पर मैचुअल के लिए तलाश रहे गुरुजी
छपरा/रसूलपुर। हिंप्र/एसं
नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त लागू होते ही अपने गृह जिला में ट्रांसफर कराने के लिए शिक्षकों ने अपना संपर्क अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि सेवा शर्त में मैचुअल सिस्टम को लेकर महिला शिक्षिकाएं विकलांग व पुस्तकालयाध्यक्षकों को छोड़ आम नियोजित शिक्षकों में सरकार व अपने शिक्षक जन प्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश भी है। बक्सर जिला निवासी व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अतरसन के शिक्षक ऋषि केश, समस्तीपुर निवासी नवादा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के संगीत शिक्षक निपुण झा आदि कहते हैं कि सोशल मिडिया के माध्यम से वे लोग अपने अपने गृह जिला में मैचुअल स्थानान्तरण के लिए संपर्क किया है। फिलहाल अभी तक कहीं से कोई आशाजनक सूचना नहीं मिली है। फिर भी आशा है कहीं न कहीं कोई साथी शिक्षक मिल ही जायेंगे। इन शिक्षकों का कहना है वे सब टेन प्लस टू के शिक्षक हैं जिनकी संख्या काफी कम है। वैसे शिक्षक जो वरीयता के आधार पर प्रधानाचार्य की कुर्सी पर विराजमान हैं वे अपने गृह जिला जाने से कतरा रहे हैं। कुछ वैसे शिक्षक भी हैं जिनको मैचुअल ट्रांसफर के बाद वरीयता खत्म होने व भविष्य में प्रमोशन का लाभ नहीं मिलने की संभावना दिख रही है। हालांकि वरीयता को लेकर सेवा शर्त में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिल रहा। कुल मिलाकर महिला, विकलांग व पुस्तकालय अध्यक्षों को छोड़ बाकी शिक्षकों में मैचुअल ट्रांसफर को लेकर कोई खास रूचि नहीं है। सबसे अधिक खुशी प्राथमिक महिला शिक्षिकाओं में है जो अपने मायके से ससुराल अथवा पति के नौकरी स्थल के आसपास अपना स्थानान्तरण कराने के लिए प्रयास शुरू कर दीं हैं। एकमा निवासी शिक्षिका बबिता रानी कहती हैं कि उन्हें आशा है कि वे अपने शिक्षक पति के साथ अपने गृह जिला में स्थानांतरित होकर नौकरी करेंगी।

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