जुलाई में 40 फीसद अधिक हुई बारिश, अगस्त में 50 से कम

सिवान । जिले में जुलाई महीने में जहां अत्यधिक बारिश से निचले इलाकों की धान, मक्का, अरहर आदि फसल बर्बाद हो गई। वहीं अगस्त महीने में सामान्य से कम बारिश ने किसानों की चिता बढ़ा दी है। अगस्त महीने में 20 दिन बीत जाने के बाद भी लक्ष्य से कम बारिश हुई है। जुलाई में अत्यधिक बारिश ने फसलों के लिए जीवनदान के बजाए उन्हें नुकसान पहुंचाने का काम किया। बारिश का पानी निचले इलाकों में इतना भर गया कि फसल कहीं जलमग्न हो गईं तो कहीं लगातार बारिश व हवा से सूख गई। कुछ ऊपरी खेतों में फसल बची भी है, तो अब बारिश नहीं होने से नुकसान होने का डर किसानों को सताने लगा है। जुलाई महीने में 321.09 एमएम सामान्य वर्षापात होनी चाहिए। इसकी जगह 500.63 एमएम बारिश हुई, जो सामान्य से 40 फीसद से अधिक बताई जा रही है। वहीं अगस्त महीने में 189.50 बारिश होनी चाहिए। इसकी जगह अभीतक 94. 32 एमएम ही बारिश हो पाई है, जो जरूरत से 50 फीसद कम है। अगर एक सप्ताह तक यही सिलसिला रहा तो ऊपरी खेती में लगी धान की फसल बचाने के लिए किसानों को सिचाई करनी पड़ेगी। इस कोरोना काल में आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रहने के बावजूद किसानों ने अनाज को लेकर होने वाली समस्या को देखते हुए किसी तरह रुपये एकत्रित कर खेती की थी, ताकि पैदावार अच्छी हो। शुरुआत में मौसम ने किसानों का साथ दिया। इसके बाद मौसम का रंग दिनोंदिन बदलता चला जा रहा है।


जिले के आधा दर्जन प्रखंडों में बाढ़ के पानी से बर्बाद हो गईं फसलें :
जिले के गुठनी, दरौली, सिसवन, रघुनाथपुर के अलावा लकड़ीनबीगंज, गोरेयाकोठी प्रखंडों में बाढ़ के पानी से खरीफ सीजन की फसल बर्बाद हो गई। जहां कृषि विभाग आकस्मिक फसल योजना का लाभ देकर क्षति की भरपाई करने की कोशिश में जुटा हुआ है।
क्या कहते हैं अधिकारी :
जुलाई में महीने में जरूरत से अधिक बारिश से फसल नुकसान हुई है। इसकी जांच कराई जा रही है। चालू महीने में जरूरत से कम बारिश हो रही है। आगे मौसम की क्या स्थिति रहती है इस पर नजर है, हालांकि बारिश जैसा मौसम बन रहा है।
जयराम पाल, जिला कृषि पदाधिकारी, सिवान।
Posted By: Jagran
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