जिले में दूसरे दिन भी एनएचएमकर्मियों की हड़ताल

जिले के एनएचएमकर्मी अपनी मांगों को लेकर दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। इसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी असर पड़ा है। अधिकारियों का भी मानना है कि हड़ताल से स्थिति बिगड़ी है। हालांकि इसकी कमी दूर करने को लेकर प्रयास जारी है। हड़ताल का सबसे बुरा असर कोविड -19 पर सैंपल कलेक्शन पर पड़ा है। सोमवार को भी यह अपने लक्ष्य के विरुद्ध 500 के आंकड़े को पार नहीं कर सका। जबकि आमदिनों में यह आंकड़ा 3500 तक जाता था। अस्पतालों में महिलाओं के प्रसव से लेकर मैनेजमेंट तक कि व्यवस्था चरमरा गई है। गौरतलब है कि संविदा पर कार्यरत एनएचएम कर्मियों में हेल्थ मैनेजर, हॉस्पिटल मैनेजर, बीसीएम, डीसीएम, अकाउंटेंट, एसटीएस, एसटीएलएस समेत कई प्रकार के कर्मी हैं जो कि कोविड 19 के दौरान भी मुस्तैदी से अपने काम में जुटे थे। रणधीर कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग कार्यों को लेकर लगातार धाराशाही होती जा रही है बावजूद इसके स्थितियां सुधारने की बजाय उनपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हमारी मांगों को भी अनसुना किया जा रहा है। गौरतलब है कि एनएचएमकर्मियों की मुख्य रूप से 6 सूत्री मांगें हैं जिसे लेकर वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

संविदाकर्मियों के हड़ताल का दिख रहा असर
बसंतपुर। प्रखंड मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में संविदाकर्मियों के हड़ताल का असर देखने को मिला। हड़ताल की सूचना मात्र से ही मरीज इलाज के लिए भटकते दिखे। हालांकि बाद में जब वे अस्पताल पहुंचे तो उन्हें चिकित्सकीय सहायता मिली। हेल्थ मैनेजर बीके सिंह ने बताया कि हड़ताल के कारण अस्पताल का अमूमन सारा काम प्रभावित हो रहा है। दूसरी तरफ गोरेयाकोठी में भी कर्मियों के हड़ताल का असर दिख रहा है। हेल्थ मैनेजर राजकिशोर साह ने बताया कि सभी संविदाकर्मी एकजुटता दिखाते हुए संघ के आह्वान पर हड़ताल पर डटे हैं।

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