राशि के अभाव में दम तोड़ रही जैविक खेती योजना

सुपौल। राशि के अभाव के कारण जिले में जैविक खेती प्रोत्साहन योजना दम तोड़ रही है। पिछले दो वित्तीय वर्ष से इस योजना में राशि का अकाल बना हुआ है जिसके कारण जैविक खेती अभियान पर ब्रेक सा लग गया है। दरअसल सरकार ने अंधाधुंध रासायनिक खाद के प्रयोग पर विराम लगाने के लिए यह योजना शुरू की थी। इस योजना का मकसद रासायनिक खाद के प्रयोग से क्षीण हो रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाना था। परंतु राशि अभाव के कारण यह योजना धरातल पर उतरने से पहले ही दम तोड़ गई। योजना के तहत जैविक खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ खेती की इस पद्धति को अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती थी। किसान जैविक खाद का उत्पादन कर इसका प्रयोग खेतों में करते थे। हालांकि ऐसे किसानों की संख्या अपेक्षाकृत कम ही थी। देखादेखी में किसानों की संख्या बढ़ ही रही थी कि राशि के अभाव के कारण योजना विस्तारित होने से पहले ही दम तोड़ गई।

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क्या है जैविक खेती
जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के स्थान पर कुदरती खाद का प्रयोग किया जाता है। इससे न केवल भूमि की पैदावार शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है बल्कि पर्यावरण भी संतुलित रहता है। इस विधि से उत्पादित फसल स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है कृषि वैज्ञानिक के अनुसार जैविक खाद के प्रयोग से पोषक तत्व पौधों को काफी समय तक मिलता है। इन खाद के प्रयोग से दूसरी फसल को भी लाभ मिलता है। रासायनिक खाद के मुकाबले जैविक खाद सस्ता तथा जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहायक होती है
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प्रति यूनिट चार हजार मिलती थी प्रोत्साहन राशि
करीब सात वर्ष पूर्व जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने जैविक खेती प्रोत्साहन योजना लागू की थी जिसके तहत वर्मी कंपोस्ट उत्पादन करने के लिए बनाए जाने वाले बेड पर सरकार द्वारा प्रति यूनिट चार हजार रुपये प्रोत्साहन की राशि देती थी जिसके कारण किसान आसानी से बेड का निर्माण कर खाद का उत्पादन कर इसका प्रयोग अपने खेतों में करते थे। बसंतपुर प्रखंड के पिपराही नाग पूर्ण रूप से जैविक ग्राम घोषित हो सका। यहां के घर-घर में जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है तथा यहां के किसान अधिकांश फसलों में जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। जब से योजना में राशि का अकाल पड़ा है योजना के विस्तार में भी ब्रेक लग चुका है।
-कोट
-पिछले दो वित्तीय वर्ष से जैविक खेती प्रोत्साहन योजना में सरकार द्वारा राशि नहीं दी गई है। हालांकि इस वर्ष भी योजना की रूपरेखा बनाकर सरकार के पास भेजी गई थी परंतु उन्हें स्वीकृति नहीं दी गई। बावजूद विभाग जैविक खेती को ले किसानों को जागरूक कर रहा है।
समीर कुमार जिला कृषि पदाधिकारी
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Posted By: Jagran
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