पर्युषण पर्व के तीसरे दिन चतुष्कोण शांति धारा का किया गया पूजन

संवाद सूत्र, सिलाव : भगवान महावीर के जन्मभूमि कुण्डलपुर के प्राचीन मंदिर में आत्म शुद्धि के महान पर्व पर्युषण के तीसरे दिन जलधारा, चतुष्कोण, शांति धारा का पूजन किया गया। यह जानकारी देते हुए जगदीश जैन ने बताया कि पर्यूषण पर्व से परस्पर भाईचारा और मानवीय संवेदनाओं का ताना-बाना बुना जाता है। नैतिक सामाजिक धार्मिक और आत्मीय मूल्यों का पाठ पढ़ाया जाता है। कर्तव्य बोध का प्रायोगिक ज्ञान कराया जाता है। इस पर्व के अवसर पर बुरी बात सुनने देखने बोलने का परहेज करना होता है। बताया कि तीसरे दिन उत्तम आर्जव धर्म की पूजा की गई। उत्तम आर्जव कपट मिटा वे -दुर्गति त्यागी सूगटी उपजाबे अर्थात सरलता का भाव है। मन वचन कर्म को कुटिल नहीं करना जैसा अपने मन में विचार किया जाए वैसा ही दूसरों को कहा जाए एवं वैसा ही कार्य किया जाए। इस प्रकार से मन वचन कार्य की सरल प्रवृत्ति को ही आर्जव कहते हैं। बताया कि यह पर्व जैनियों का प्रमुख पर्व है। इस तीर्थ में सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते थे, लेकिन इस बार वैश्विक कोरोना महामारी के कारण बाहर से आने वाले जैन श्रद्धालु इस पावन अवसर पर सम्मलित नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए इस बार क्षेत्र से फेसबुक पेज के माध्यम से लोगों को घर बैठे शांति धारा लाइव करा कर दिखाया जा रहा है। आज के शांतिधारा के पुण्यर्जक में उड़ीसा के मोहित जैन, शांति जैन, सीकर राजस्थान के प्रदीप कुमार जैन, अर्पित सेठी, दिल्ली से अशोक कुमार जैन दिल्ली आदि शामिल थे। संध्या में श्री जी का मंगल आरती भजन आदि किया गया। इस पावन अवसर पर जगदीश जैन, अभिषेक जैन, मौसमी जैन ,सोनी जैन ,पीयूष जैन, सिद्धार्थ जैन आदि लोग शामिल हुए।

विम्स पावापुरी को उपलब्ध कराया गया आरटीपीसीआर मशीन यह भी पढ़ें
Posted By: Jagran
डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

अन्य समाचार