स्वेज नहर की तर्ज पर बनी सोन नहर को जीर्णोद्धार का इंतजार

आरा। स्वेज नहर की तर्ज पर 150 वर्ष पूर्व अंग्रेजी हुकूमत की सरकार में बनी सोन नहर को आज जीर्णोद्धार का इंतजार है। शाहाबाद जनपद की लाइफ लाइन कही जाने वाली इस सोन नहर से अब खेतों की प्यास नहीं बुझती है। टेल इंड के खेतों तक पानी पहुंचने से पहले ही सूख जाती है। पिछले दो दशक से इसकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई और इस अवधि में मुकम्मल जीर्णोद्धार कभी नहीं हो सका, जिसके कारण शाहाबाद जनपद के भोजपुर, बक्सर, रोहतास एवं कैमूर के किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बनकर रह गई। सोन नहर के इस दुर्दशा के चलते किसानों की माली हालत दिनोंदिन बिगड़ती चली गई। कभी राज्य भर में धान के उत्पादन में अव्वल रहने वाला यह जनपद आज अपनी किस्मत पर अफसोस जता रहा है।

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वर्ष 1872 में अंग्रेजों ने सोन नहर का निर्माण किया था। तब पानी की समुचित व्यवस्था की बदौलत किसानों ने अपनी मेहनत के बल पर इस जनपद को धान के कटोरा के रूप में स्थापित किया और इसे अपनी जीविका का मूल साधन भी बनाया। लंबे समय तक किसान सिचाई प्रबंधन की समृद्ध व्यवस्था में अपनी खेती की फसल को लहलहाते रहे। आजादी के बाद भी सिचाई प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था एक लंबे समय तक बहाल रही। लेकिन बाद में समय के अंतराल में सिचाई की लाइफ लाइन सोन नहर भरपूर पानी देने में किसानों के लिए कमजोर साबित होने लगी, जो अब तक बरकरार है। नहर में पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए किसानों के संघर्ष की आवाज सड़क से लेकर सदन तक गूंजी, लेकिन समस्या का समाधान धरातल पर नहीं उतर सका।
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केंद्रीय राज्य मंत्री की पहल पर नहर के लाइनिग के लिए चार हजार करोड़ का बना डीपीआर
आरा: केंद्रीय राज्य मंत्री सह स्थानीय सांसद आर के सिंह की पहल पर सोन नहर के लाइन का कार्य आगे जरूर बढ़ा, लेकिन अभी तक अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका। कई बार डीपीआर में संशोधन किया गया, परंतु पिछले दो वर्षों से सोन नहर के लाइनिग के लिए जारी कार्य अभी तक अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाया है। लाइनिग का कार्य हो जाने के बाद टेल इंड के खेतों तक किसानों को आसानी से और भरपूर पानी उपलब्ध हो जाने का दावा विभाग करता है। किसानों का यह सपना कब पूरा होगा यह अभी समय के गर्त में है।
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कहां होती है कितने हेक्टेयर में खेती:
प्रखंड आच्छादन
आरा 3600
बड़हरा 900
कोईलवर 4000
संदेश 5900
उदवंतनगर 11000
सहारा 8000
अगिआंव 8400
पीरो 16500
तरारी 14500
चरपोखरी 8000
गड़हनी 9000
जगदीशपुर 17700
शाहपुर 13000
बिहिया 6200
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बॉक्स
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डेढुआ पंप नहर परियोजना भी अधर में
आरा: वर्ष 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने डेढुआ पंप नहर परियोजना का शिलान्यास संदेश में किया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि इस परियोजना के बाद तापा क्षेत्र में वैशाख एवं जेठ में भी मेढ़क टर्र-टराएंगे। लेकिन 52 गांवों को सिचाई की व्यवस्था देने वाली यह परियोजना आज भी अधर में पड़ी हुई है। वर्ष 2018 में इस सवाल को विधानसभा के पटल पर भी रखा गया था। लेकिन सरकार की यह कवायद अभी फाइलों में ही सिमटी है।
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सोन नहर से कहां होती है कितनी सिचाई:
उदवंतनगर में 7,749 हेक्टेयर, सहार में 10,050 हेक्टेयर, तरारी में 12,674, पीरो में 12,822 हेक्टेयर, चरपोखरी में 8,506 हेक्टेयर, जगदीशपुर में 9,327 हेक्टेयर, संदेश में 5,137 हेक्टेयर, आरा में 700 हेक्टेयर, बिहिया में 647 हेक्टेयर, गड़हनी में 6,566 हेक्टेयर और अगिआंव में 9,437 हेक्टेयर में सिचाई का कार्य होता है।
Posted By: Jagran
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