विश्वविद्यालय अतिथि शिक्षकों की बैठक में स्थायीकरण की मांग

हाजीपुर : बिहार राज्य विश्वविद्यालय अतिथि अध्यापक संघ की बैठक में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों ने सेवा समाप्ति की आशंका पर गहरी चिता प्रकट की। शहर के गांधी आश्रम स्थित शशि सभागार में आयोजित बैठक में अतिथि शिक्षकों ने यूजीसी मानदंडों के आधार पर सहायक प्राध्यापक के स्वीकृत पद के विरूद्ध नियुक्त अंशकालिक अतिथि सहायक प्राध्यापकों के सेवा समायोजन एवं नियमितिकरण को लेकर विचार-विमर्श किया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए संघ के संयोजक डॉ आमोद प्रबोधी ने कहा कि विश्वविद्यालयों में चयन समिति के माध्यम से यूजीसी मानदंड के आधार पर अंशकालिक अतिथि सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति विश्वविद्यालय से स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध की गई है, जिसमें बिहार में लागू तत्कालीन आरक्षण सिद्धांतों का पालन हुआ है। इन नियुक्तियों में लगभग 40 फीसदी महिलाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भागीदारी करने का एक अवसर प्राप्त हुआ है। इससे महिलाओं को सशक्त होने का भी मौका मिला है।

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उन्होंने कहा कि अतिथि सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति कुलाधिपति एवं बिहार सरकार के आदेशानुसार तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियमन 2018 के अनुरूप विश्वविद्यालय में गठित कुलपति की अध्यक्षता वाली चयन समिति के माध्यम से हुई है। यूजीसी के निर्देशानुसार सभी विश्वविद्यालयों में 6 माह की समय-सीमा के अंदर सहायक प्राध्यापकों की नियुक्तियों की जानी है। बीपीएससी से हुई बहाली में अधिकतर 80 फीसदी से ज्यादा चुने हुए लोग राज्य के बाहर के निवासी हैं। वहीं अतिथि प्राध्यापकों में अधिकतर 90 फीसदी से ज्यादा बिहार के ही मूल निवासी हैं। समस्या यह है कि यूजीसी से नियमित प्राध्यापकों की बहाली के बाद अतिथि प्राध्यापकों की सेवा तो समाप्त नहीं कर दी जाएगी। बैठक में उपस्थित प्राध्यापकों ने सर्वसम्मति से सरकार को मांगो का ज्ञापन देने का निर्णय लिया। बैठक में महिला इकाई प्रदेश संयोजक डॉ अलका कुमारी, डॉ उर्मिला कुमारी, प्रो अशोक कुमार, डॉ अमर ज्योति, डॉ रवि चंद्रा, डॉ किरण कुमारी आदि ने विचार व्यक्त किया।
Posted By: Jagran
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