डोमिसाइल नीति पर संघर्ष करने को बनाया संगठन

डोमिसाइल नीति पर संघर्ष करने को बनाया संगठन

प्रतियोगी अभ्यर्थियों ने बिहार डोमिसाइल स्ट्रगल फ्रंट का किया गठन
सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की पुरजोर मांग
छपरा । हिंदुस्तान प्रतिनिधि
सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने को लेकर प्रतियोगी अभ्यर्थी आगे आ गए हैं। अपनी मांग के समर्थन में सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए भी अपनी कमर कस लिए हैं। डॉ प्रीतम यादव के नेतृत्व में उनके आवास पर प्रतियोगी अभ्यर्थियों की एक बैठक हुई जिसमें बिहार डोमिसाइल स्ट्रगल फ्रंट का गठन किया गया । बैनर तले डोमिसाइल नीति लागू करने के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया गया। विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की बहाली होने वाली है जिसके मद्देनजर आवश्यक कुछ मांगों को लेकर बहुत जल्द फ्रंट के सदस्य डीएम से मिलेंगे और अपनी मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए पुरजोर कोशिश करेंगे। डॉ यादव ने कहा कि विश्वविद्यालयों में होने वाली बहाली में बिहार के हित में डोमिसाइल नीति का पालन अति आवश्यक है। इससे बिहार के अभ्यर्थियों को लाभ मिलेगा । शैक्षणिक जगत में चौतरफा विकास होगा। मौके पर डॉ दीनबंधु माझी, डॉ रत्नाकर राना, डॉ संजीव कुमार, डॉ रघुनाथ प्रसाद ,डॉ मंजू कुमारी, डॉ विनोद कुमार, रंजू कुमारी, प्रियरंजन , राजीव रंजन व अन्य थे।
प्रमुख मांगें
मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में स्थानीय नीति लागू है। इसलिए बिहार में भी इसे अविलंब लागू की कियाजाए। विश्वविद्यालयों में होने वाली सहायक प्राध्यापकों की बहाली में कम से कम अभ्यर्थियों को मैट्रिक उत्तीर्णता बिहार बोर्ड से होना अनिवार्य कर दी जाए। अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए मध्य प्रदेश की तर्ज पर उम्र सीमा 28 वर्ष की जाए। रिपोर्ट जर्नल प्री रिव्यू में प्रकाशित शोध पत्र को ही प्राथमिकता दी जाए।

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