जिले में घर-घर जाकर ढूंढे जाएंगे कालाजार मरीज

अररिया। कालाजार के मरीजों की तलाश में हर घर के दरवाजे पर आशा की दस्तक होने वाली है। लक्ष्य है 2020 तक कालाजार से समाज को मुक्त करने का है। इसके लिए जिले के सभी आशाओं और आशा फैसिलेटर को पारंगत किया गया है। स्वास्थ्य विभाग इसके लिए व्यापक रूप से तैयारी कर रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग, पटना के निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग अररिया द्वारा जिले के 182 आशाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण उपरांत सभी आशा कर्मी को जिलांतर्गत सभी घरों में कालाजार रोगियों को चिन्हित करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। चिन्हित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा इलाज, दवा आदि की सुविधा प्रदान की जायेगी। डीपीएम रेहान असरफ ने बताया कि जिले में कालाजार एक बहुत बड़ी समस्या है। इसके निदान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष दिशा- निर्देश दिए गए है। निर्देश के अनुसार पटना से आये मास्टर ट्रेनर के मदद से जिले में कार्यरत 182 आशाओं को कालाजार के सम्बंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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पहचान और लक्षण की हो रही बात
जिले में सभी स्तरों पर कालाजार की खोज से एक दिन पूर्व माइकिग द्वारा प्रचार-प्रसार भी करवाया जाएगा। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व आम लोगों को भी कालाजार के पहचान और लक्षण की जानकारी आशा कर्मियों की तरफ से दी जायेगी। ऐसा इसलिए कि लोग जागरूक हो जाएं और पूर्व से ही सतर्क रहें। खतरा दिखने पर अविलंब स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंच कर जांच करा सके और कालाजार से खुद को सुरक्षित रख सकें। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रचार- प्रसार के लिए भी व्यापक तैयारी की जा रही है। आगामी एक सितंबर से पूरे जिले में माइकिग करा कर प्रचार- प्रसार कर आम लोगो को जागरूक किया जाएगा। प्रचार कार्य के लिए भी सीएस एपी सिंह द्वारा 30 से अधिक कर्मियों को जिम्मेदारी दी गई है और प्रचार- प्रसार को बेहतर तरीके से संपादित कर प्रतिवेदन समर्पित करने का भी निर्देश दिया गया है।
इन व्यक्तियों की होगी जांच :
रोगी खोज के दौरान 15 अथवा 15 दिनों से अधिक दिनों से बुखार से पीड़ित व्यक्ति जिन्होंने बुखार के दौरान मलेरिया की दवा अथवा एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन किया हो और उसके बाद भी बुखार ठीक न हुआ हो साथ ही उन्हें भूख की कमी व पेट का बड़ा होना जैसे लक्षण दिखाई दें उन व्यक्तियों को आरके35 किट से जांच करवाने के लिए स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाएगा। डीपीएम ने बताया कि कालाजार धीरे-धीरे विकसित होने वाला बीमारी है जो मादा फ्लैबोटामस अर्जेंटाइप्स (बालू मक्खी) के काटने से होता है। मक्खी के काटने के 15 से 20 दिन बाद व्यक्ति में कालाजार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। उन्हें बार-बार बुखार आने लगता है। इसके साथ-साथ भूख में कमी, वजन का घटना, थकान महसूस होना, पेट का बढ़ जाना आदि इसके लक्षण के रूप में दिखाई देने लगते हैं।
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कोट-
आशा कार्यकर्ता को मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण उपरांत घर- घर सर्वे किया जायेगा। उम्मीद है की सामुहिक प्रयास के बदौलत वर्ष के अंत तक जिला कालाजार से पूर्ण रूप से मुक्त हो जाएगा।
- डॉ. एपी सिंह, सीएस अररिया।
Posted By: Jagran
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