अनंत व्रत आज, पूजन से प्रसन्न होते भगवान विष्णु

जहानाबाद : सौभाग्य, आरोग्य एवं समृद्धि समेत अन्य कई कामनाओं को ले भाद्र पद के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को मनाए जाने वाले अनंत चतुर्दशी पूजा मंगलवार को है। श्रद्धालु सृष्टिकर्ता ब्रह्म नारायण की भक्ति व पूजा करेंगे। नारायण भगवान की पूजा के बाद अनंत चतुर्दशी की कथा सुनी जाएगी। दूध दही के क्षीरसागर में कुश के बने अनंत भगवान का मंथन किया जाएगा। रंगीन धागे की 14 गांठों से निर्मित अनंत को धारण किया जाएगा। इ

कई वर्षों के बाद मंगलवार को अनंत चतुर्दशी होने से मंगलाचरणी और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

जानकार के अनुसार पूरी आस्था, श्रद्धा व विश्वास के साथ अनंत पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है। इस व्रत को करने वाले एवं चौदह गांठ वाली अनंत के पवित्र धागे को धारण करने वाला जातक वह चाहे महिला हो या पुरूष समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। अपने हाथ के बाजू में अनंत का पवित्र धागा धारण करने वाला व्यक्ति निर्भय हो जाता है। उसकी रक्षा स्वयं भगवान विष्णु हरि करते है। प्रथम बार इस महान व्रत को मुनि कौण्डिल्य की भार्या शिला ने की थी। इस व्रत से हुए मुनि दंपति के घर में श्री वृद्धि होने लगा। धन-धान्य से मदांध होकर मुनि कौण्डिल्य ने पत्नी शीला के बाहु पर बांधे अनंत के धागे को तोड़कर अग्नि में जला दिया। जिसके परिणास्वरूप उनके घर से लक्ष्मी नाराज हो कर चली गई। व्याधियों के शिकार होकर दारूण दुख भोगने लगे। अपनी धर्मात्मा पत्नी के कहने पर मुनि ने 14 वर्षो तक घोर तपस्या की। तब जाकर उन्हें पाप से मुक्ति मिली। पुन: वे शरणागत वत्सल भगवान श्री हरि के कृपा पात्र बने। सौभाग्य, आरोग्य, सम्पदा एवं नाना प्रकार के सुखों की प्राप्ति के लिए हर वर्ष यह व्रत करना चाहिए। अनंत पूजा में भगवान विष्णु की कथा सुनी जाती है। इस दिन वेद ग्रंथों का पाठ कर भक्ति की स्मृति का डोरा बांधा जाता है। अनंत पूजा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फलदायक माना जाता है। यह व्रत धन-पुत्र आदि की कामनाओं के लिए किया जाता है। व्रत का पारण दान करने के बाद करना चाहिए। अनंत की चौदह गांठे चौदह लोकों की प्रतीक है। जिनमें अनंत भगवान विद्यमान है। व्रत कथा सभी बंधु-बांधवों के साथ बैठकर सुननी चाहिए। हालांकि इस कोरोना वायरस को लेकर इस मौके पर वाणावर समेत अन्य कोई सार्वजनिक आयोजन नहीं होगा।लोग अपने-अपने घरों में ही पूजा अर्चना करेंगे।
Posted By: Jagran
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