अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की होती है पूजा

सीतामढ़ी। हिन्दी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी की पूजा की जाती है। इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 01 सितबर दिन मंगलवार को है। हालांकि जिले के कुछ क्षेत्रों में सोमवार को भी अनंत चतुर्दशी की पूजा की गई। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के साथ ही भगवान गणपति को सहर्ष विदा किया जाता है और अगले वर्ष आने की प्रार्थना की जाती है। इसके साथ ही 10 दिनों के गणेशोत्सव का समापन हो जाता है। आइए जानते हैं कि इस अनंत चतुर्दशी पर पूजा का मुहूर्त एवं महत्व क्या है।

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अनंत चतुर्दशी मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी की उदया तिथि ली जाती है। सीतामढ़ी के प्रख्यात तांत्रिक पंडित गिरिधर गोपाल चौबे ने बताया कि भादप्रद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि विश्व विद्यालय, वाराणसी पंचांग के अनुसार प्रारंभ 31 अगस्त दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 49 मिनट से हो रहा है, जो 01 सितंबर को सुबह 09 बजकर 39 मिनट तक है। वहीं मिथला पंचाग के अनुसार 7 बजकर 38 मिनट के बाद चतुर्दशी, 1 सितम्बर को 8 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। ऐसे में 01 सितंबर को उदया तिथि मिल रही है, इसलिए अनंत चतुर्दशी 01 सितंबर को मनाई जाएगी।
अनंत चतुर्दशी व्रत करने वाले हाथ में धारण करते हैं अनंत धागा
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अनंत चतुर्दशी के दिन मुख्यत: भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं। इस दिन व्रत रखने वाले पुरुष अपने दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में अनंत धागा धारण करती हैं। यह धागा 14 गांठों वाला होता है। ये 14 गांठें भगवान श्री विष्णु द्वारा निर्मित 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि अनंत चतुर्दशी का व्रत लगातार 14 वर्षों तक किया जाए तो उस व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी: गणपति विसर्जन का दिन
22 अगस्त 2020 को गणेश चतुर्थी के दिन जिन लोगों ने 10 दिनों के लिए गणपति बप्पा की स्थापना की थी, वे लोग 01 सितंबर को भगवान श्री गणेश मूर्ति का बहते जल में विसर्जन करेंगे।
Posted By: Jagran
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