रैपिड एंटीजन किट की जांच में निगेटिव रिपोर्ट पर दोबारा जांच नहीं

दरभंगा। जिले में लगातार फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के मानक पर लोगों की जांच नहीं हो पा रही है। नियमों की अनदेखी की यह बात तब सामने आई जब जिले में रैपिड एंटीजन किट की जांच में निगेटिव रिपोर्ट से संबंधित नमूनों की जांच दोबारा आरटी-पीसीआर में नहीं कराई गई। एक रिपोर्ट के अनुसार जिले में अबतक 65253 निगेटिव रिपोर्ट वालों में किसी के भी नमूने को दोबोरा जांच के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के आरटी-पीसीआर लेबोरेटरी में जांच के लिए नहीं भेजा गया।

यह है आइसीएमआर की गाइड लाइन
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आइसीएमआर की गाइड लाइन के मुताबिक रैपिड एंटीजन किट से होनेवाली जांच में जिस किसी की रिपोर्ट निगेटिव पाई जाती है तो संबंधित व्यक्ति के नमूने की जांच डीएमसीएच के आरटी-पीसीआर लेबोरेटरी में कराना जरूरी है। इसके पीछे वजह यह कि जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है , उनमें फिर से कोरोना वायरस मिलने की संभावना रहती है। ऐसे में दोबारा जांच जरूरी है।
अबतक रैपिड एंटीजन किट से हुई है 67,384 लोगों की जांच आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में अबतक रैपिड किट से कुल 67384 संदिग्ध मरीजों की जांच कराई जा चुकी है। इनमें 2131 पॉजिटिव पाए गए। शेष निगेटिव मिले। इतनी बड़ी संख्या में निगेटिव मरीजों के मिलने के बाद भी किसी की भी जांच आरटी-पीसीआर लेबोरेटरी में नहीं हुई है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि लक्षण के आधार पर निगेटिव मरीजों के नमूने आरटी-पीसीआर को सौंपे गए हैं। लेकिन, संख्या के सवाल पर स्वास्थ्य अधिकारी पोर्टल पर भेजने की बात कह पल्ला झाड़ लेते हैं। जबकि दूसरे अधिकारी बताते हैं कि इस तरह की रिपोर्ट आरटी-पीसीआर में नहीं भेजी जा सकी है।
-------------------------------- क्या है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट : अगर मरीज की केस हिस्ट्री में किसी पॉजिटिव मरीज से मिलने की बात है। या फिर कोविड का लक्षण है तो ऐसे मरीजों के नमूने की जांच आरटी-पीसीआर लेबोरेटरी में कराना जरूरी है। मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. बीके सिंह ने बताया कि आइसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट से ये कंफर्म नहीं होता कि किसी शख्स में अभी कोरोना वायरस है या नहीं। बस ये पता चलता है कि उसमें कोरोना वायरस से लड़नेवाली एंटीबॉडी बन रही हैं या बन गई है। यह कोरोना मरीजों की संभावित पहचान करने में मददगार है। डॉ. सिंह ने बताया कि इस टेस्ट से पता चलता है कि क्या शरीर में कोरोना वायरस आया था या नहीं। ऐंटीबॉडी पॉजिटिव आती है तो, पीसीआर करवाने की सलाह दी जाती है। अगर वह भी पॉजिटिव आई तो, माना जाएगा कि उसमें कोरोना वायरस एक्टिव स्टेज में है। उससे लोगों को संक्रमण का खतरा हो सकता है। अगर दो वार आरटी-पीसीआर निगेटिव आता है तो, यह मान लिया जाएगा कि उन मरीजों से संक्रमण का खतरा नहीं है।
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रैपिड एंटीजन टेस्ट में जिनकी रिपोर्ट निगेटिव रिपोर्ट आती है उन मरीजों के नमूने की दोबारा जांच कराई जाती है। यदि संबंधित व्यक्ति में कोविड के लक्षण हैं तब। सभी निगेटिव मरीजों की दोबारा जांच नहीं करानी है। ऐसे मरीजों के नमूनों की जांच डीएमसीएच के आरटी-पीसीआर लेबोरेटरी में भेजी गई है। संख्या स्पष्ट नहीं है।
डॉ. संजीव कुमार सिन्हा
सिविल सर्जन, दरभंगा।
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रैपिड एंटीजन टेस्ट में निगेटिव निकले मरीजों का सैंपल दोबारा जांच के लिए आरटी-पीसीआर में नहीं आया है। कहीं से एक भी नमूना यहां नहीं भेजा गया है। इस तरह की जांच में निगेटिव रिपोर्ट वाले के नमूनों की दोबारा जांच कराना जरूरी है।
डॉ. एचएन झा
प्राचार्य, दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल।
Posted By: Jagran
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