मंदिर में नहीं हुई सामूहिक पूजा, घरों अनंत व्रत

जहानाबाद : चतुर्दशी पर मंगलवार को घरों में ही भगवान अनंत की पूजा और व्रत रखा गया। मठ-मंदिरों में सामूहिक अनंत व्रत कथा और पूजन नहीं हुआ।

भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। अनंत भगवान की पूजा के बाद चौदह गांठ वाले सूत्र को अनंत भगवान का स्वरूप मान कर पुरुष श्रद्धालुओं ने दाएं व महिलाओं ने बाएं बाजू पर धारण किया। मान्यता है कि अनंत के चौदह गांठों में प्रत्येक गांठ एक-एक लोक का प्रतीक है। जिसकी रचना भगवान विष्णु ने की है। कोरोना वायरस को शहर के प्रमुख मंदिरों में लोगों की भीड़ नहीं दिखी ।लोगों ने अपने-अपने घरों में ही विधि विधान पूर्वक अनंत चतुर्दशी व सत्यनारायण भगवान की कथा श्रवण एवं पूजा किया। हर वर्ष जहां अनंत पुजा के मौके पर वाणावर में पूजा अर्चना को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगती थी लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण सरकारी निर्देश के कारण यहां लोगों के आने पर रोक लगी थी। श्रद्धालु अपने-अपने घरों में हीं दूध दही के क्षीरसागर में कुश से बने अनंत भगवान का मंथन किया।
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बताया जाता है कि पांडव कौरवों से जुए में अपना राजपाट हारकर जब जंगल में कई प्रकार के कष्टों को झेल रहे थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत भगवान का व्रत और पूजा करने की सलाह दी थी। पांडवों को अनंत पूजा के बाद कष्टों से छुटकारा मिल गया। तब से भाद्र महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है और इसी चौदह प्रतीक के रूप में अनंत बांधा जाता है।
Posted By: Jagran
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