बिहारी जुबान को चखा रहे दिल्ली का जायका

मधेपुरा। इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना संक्रमण ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है, लेकिन सच यह भी है कि संकट ने वर्षो से अपने घर से दूर रहने वालों को अपनी मिट्टी पर वापस ला दिया है। अब बाहर से घर लौटे लोग वहां की खासियत, रहन-सहन, खान-पान आदि से यहां के लोगों को अवगत करा रहे हैं। ऐसे में से एक हैं भेलवा के अलाउद्दीन। वह दिल्ली के कनाट प्लेस के एक रेस्टोरेंट में शेफ का काम करते थे। कोरोना संक्रमण को लेकर वहां काम बंद हो गया तो घर लौट आए। अब वह गम्हरिया में रेस्तरा चला रहे हैं। यहां दिल्ली के होटलों में मिलने वाले व्यंजन ग्राहकों को परोसे जा रहे हैं। लोगों को भी यह भाने लगा है। अलाउद्दीन ही क्यों दिल्ली से लौटे करीब दो दर्जन लोग ठेला खोमचा लगाकर बिहारी जुबान को दिल्ली का जायका चखा रहे हैं। अलाउद्दीन ने सुपौल-सिंहेश्वर रोड में रेस्टोरेंट खोला है। तरह-तरह के व्यंजन लोगों को परोस रहे हैं। काम चल निकला है। काम को रफ्तार पकड़ता देख अब यही रहने का फैसला कर लिया है। बताते हैं कि आमदनी भले ही दिल्ली वाली नहीं होती हो लेकिन घर की आधी रोटी भली। यह एक अलाउद्दीन की कहानी नहीं है। दिल्ली से लौटे मु. खुर्शीद आलम, कौशर आलम, जफीर और सुनील सहित कई लोग हैं जो अब प्रदेश नहीं जाने का फैसला लिया है। यहां रोजगार की शुरूआत की है। खुर्शीद और नौसाद दिल्ली के होटल में काम करते थे। अब गांव में साउथ व्यंजन मोमो चौमीन, ऐग रौल तो जफीर ने भुजा की दुकान खोल ली है। जबकि सुनील शाकाहारी भोजनालय खोल कर अपना रोजगार की शुरूआत की है।

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Posted By: Jagran
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