डीपीओ के पेंशन पर विभाग ने लगाया सदा के लिए रोक

बक्सर : पिछले हफ्ते डीडीसी के लेखा पदाधिकारी के निगरानी के हत्थे चढ़ने के बाद जिले में भ्रष्टाचार पर एक और वार हुआ है। भ्रष्टाचार में फंसे यहां के शिक्षा विभाग के तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विनायक पांडेय के पेंशन भुगतान पर सदा के लिए रोक लग गई है। राज्यपाल के आदेश से निदेशक प्रशासन सह अपर सचिव सुशील कुमार ने इस बाबत अधिसूचना जारी की है। जिसमें बिहार पेंशन नियमावली के नियम-43 बी के तहत श्री पांडेय के शत प्रतिशत पेंशन पर सदा के लिए रोक का दंड संसूचित किया गया है।

आदेश में कहा गया है कि निलंबन अवधि में भुगतान किए गए जीवन निर्वाह भत्ता के अतिरिक्त उन्हें कुछ देय नहीं होगा। तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त शिक्षक अक्षयवर नाथ पांडेय से 15,000 रुपये रिश्वत लेते निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इस बाबत जारी अधिसूचना में कहा गया है कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से प्राप्त सूचना एवं श्री पांडेय के विरुद्ध प्रतिवेदित अन्य आरोपों के लिए उनसे बचाव अभिकथन की मांग की गई तथा प्राप्त बचाव अभिकथन के संतोषजनक नहीं पाए जाने पर बिहार पेंशन नियमावली के नियम 43 बी के तहत विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की गई। अधिसूचना में कहा गया है कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा परिवाद की संपुष्टि के उपरांत ही कार्रवाई की जाती है। धावा दल द्वारा इन्हें घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किए जाने की सूचना दी गई है, जो आरोप को स्वत: प्रमाणित करता है।
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डीपीओ ने दंडित प्रधानाध्यापक को पूर्ण सेवांत लाभ की दी थी स्वीकृति
तत्कालीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पर केवल रिश्वत लेने का ही आरोप नहीं था। अधिसूचना के मुताबिक संचालन पदाधिकारी के जांच प्रतिवेदन के अनुसार सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक इरफान अहमद के विरुद्ध निदेशक प्राथमिक शिक्षा द्वारा दंड संसूचित किए जाने के बाद भी श्री पांडेय द्वारा श्री अहमद को पूर्ण सेवांत लाभ की स्वीकृति दी गई। जबकि, उन्हें विभागीय कार्यवाही की जानकारी प्राप्त करने के उपरांत ही श्री अहमद को सेवांत लाभ की स्वीकृति देनी चाहिए थी।
सासाराम में पदस्थापन के दौरान भी खिलाया था गुल
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बताया जाता है कि रोहतास में पदस्थापन काल में भी तत्कालीन डीपीओ ने गुल खिलाया था। जारी अधिसूचना में इसका उल्लेख है कि रोहतास जिला में पदस्थापन काल से संबंधित शिक्षक नियोजन 2008 के लंबित मामलों में भी नियोजन इकाई को दिशा-निर्देश देने से पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से उन्होंने मार्ग निर्देश प्राप्त करना उचित नहीं समझा। ऐसे में इन गंभीर आरोपों के लिए बिहार पेंशन नियमावली के तहत उनका शत प्रतिशत पेंशन सदा के लिए रोक दिया गया।
Posted By: Jagran
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