राजेंद्र कुष्ठ आश्रम: कि मेरा दर्द न जाने कोय...

आज से करीब छियासठ साल पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के नाम पर सारण के इलाके में एक कुष्ठ आश्रम की स्थापना हुई थी, जिसका उद्घाटन भी उन्होंने खुद ही किया था। लेकिन, समय के साथ सब कुछ खत्म-सा हो गया। यह कुष्ठ आश्रम खुद बीमार हाल है। लंबे समय से इसका कोई माई-बाप नहीं। छोड़ दिया गया है अपने हाल पर। कर्मचारियों को 28 साल से वेतन नहीं मिला है। भूतबंगला बन चुके कुष्ठ आश्रम में अब मरीज भी नहीं रहते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर मैरवां-दरौली मार्ग पर स्थित इस कुष्ठ आश्रम के मुख्य लेखा संधारक धर्मसेननाथ तिवारी ने बताया कि 11 नवंबर 1954 को राजेंद्र बाबू ने खुद इसका उद्घाटन किया। इसकी स्थापना जगदीश डीन ने की थी। वे ही इस आश्रम के फाउंडर सेक्रेट्री थे। नौ लोग ट्रस्टी थे। तिवारी की मानें तो कुष्ठ आश्रम सारण के तीनों जिलों छपरा, सीवान और गोपालगंज के रोगियों के काम आता था। डेढ़ सौ बेड वाला यह अस्पताल हमेशा कुष्ठ रोगियों से भरा रहता था। करीब 200 कर्मचारी हुआ करते थे।

हर साल 3 दिसंबर को राजेंद्र बाबू की जयंती पर समारोह आयोजित होता था, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी से लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जैसे लोग शिरकत करने यहां आ चुके हैं।
सरकार की ओर से मिलने वाला आवंटन बंद
बिहार के कई मुख्यमंत्री जयंती समारोह में शामिल हो चुके हैं। लेकिन, 1992 के बाद स्थितियां बिगड़ने लगीं। 1987 में जगदीश डीन के निधन के बाद प्रभुनाथ तिवारी को आश्रम का सचिव बनाया गया। 1992 में उनकी मौत हो गई। इस बीच नौ ट्रस्टी भी नहीं रहे। इसके बाद आश्रम दुर्दिन का शिकार हो गया। कुष्ठ आश्रम के लिए सरकार की ओर से मिलने वाला आवंटन बंद हो गया। नतीजा हुआ कि रोगियों का इलाज और सर्वेक्षण जैसे महत्वपूर्ण काम प्रभावित होने लगे। कर्मचारियों का वेतन भी बंद हो गया, जो आज तक बंद ही है। तिवारी की मानें तो करीब 28 सालों से यहां के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, जबकि इसके लिए कई बार संबंधित अधिकारियों से गुहार लगाई जा चुकी है। यही नहीं अनदेखी का आलम यह है कि यहां के सारे साज-ओ-सामान बर्बाद हो चुके हैं। बची-खुची चीजें चुराई जा रही हैं।
करीब 21 एकड़ में फैला है कुष्ठ आश्रम
देशरत्न राजेंद्र बाबू के नाम पर बना यह कुष्ठ आश्रम करीब 21 एकड़ में फैला है। बदहाली का दंश झेल रहे कुष्ठ आश्रम की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यहां के चीफ एकाउटेन्ट धर्मसेन नाथ तिवारी काफी लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2011-12 में सूबे के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चैबे ने यहां मेडिकल कालेज बनवाने की घोषणा की। पर कुछ नहीं हुआ। दो साल पहले स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी सीवान में मेडिकल कालेज बनवाने की घोषणा की, लेकिन यह भी हवा-हवाई साबित हुआ। तिवारी का कहना है कि जो अस्पताल पहले से है, उसे तो बर्बाद कर दिया गया और इसकी जगह मेडिकल कालेज बनवाने की बात कही जा रही है। राजेंद्र बाबू के नाम पर बना यह कुष्ठ आश्रम हमारी विरासत है, जिसे सहेज कर रखा जाना चाहिए। पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
बदहाली देख जिला जज हो गए थे हतप्रभ
सीवान के जिला जज मनोज शंकर पिछले दिनों कुष्ठ आश्रम गए थे। वहां सीवान के धरोहर की बदहाली देख हतप्रभ रह गए थे। काफी देर तक वहां के कर्मियो से कुष्ठ आश्रम के बारे में गहराई से जानकारी हासिल की थी। इस दौरान भावुक हुए जिला जज ने इसे लेकर जल्द डीएम अमित कुमार पांडेय से हस्तक्षेप कर बदहाली दूर की पहल करने का वहां के कर्मियो को आश्वासन दिया था।

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